शब-ए-बरात क्या है ? जी हां, मुसलमानों का एक खास त्यौहार है जिसमें खास इबादत रात में की जाती है. इन इबादतों में नफिल नमाज़ें पढ़ना, अपने पूर्वजों के लिए दुआएं करना और कुरान की तीलावत करना अहम माना जाता है. इस मौके पर मुसलमान अच्छे अच्छे पकवान भी बनाते हैं.


शब-ए-बरात है गुनाहों से माफी की रात


इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से शब-ए-बरात आठवीं महीने यानी शाबान के 15वीं तारीख को मनाया जाता है. शाबान महीने के बाद रमजान का महीना शुरू होता है. रमजान महीने मुसलमानों में सबसे पवित्र महीना शुमार किया जाता है. इस महीने के दौरान मुसलमान रोजे रखते हैं.


शब का मतलब अरबी में होता है रात और बरात का मतलब माफी. यानी इस दौरान पूरी रात इस्लाम के अनुयायी अपने परवर दिगार से अपने गुनाह की माफी की तलब करते हैं. ऐसा माना जाता है कि भाग्य का फैसला, आनेवाले साल के लिए इसी रात किया जाता है. इसी वजह से मुसलमान इस रात को खास इबादत करते हैं.


लेकिन दिलचस्प है कि शब-ए-बरात को लेकर इस्लमा में एकमत नहीं है, इसलिए राब-ए-बरात विशेष तौर पर एशिया के मुल्कों में मनाया जाता है.


इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग कब्रिस्तान में भी जाते हैं और अपने पूर्वजों या दुनिया से जा चुके रिश्तेदारों और करीबियों के लिए खास तौर पर दुआएं करते हैं. दरअसल, शब-ए-बरात की रात मुहम्मद साहब जन्नतुल बकी (मदीने की कब्रिस्तान) गये थे. उसी एतबार से मुसलमान उनका अनुसरण करने लगे.


घर पर रहकर अतिरिक्त नमाज पढ़ें


इस बार शब-ए-बरात मनाना का सबसे बेहतर तरीका ये होगा कि लोग अपने घर पर रहकर खूब नफिल नमाजें पढ़ें, क्योंकि अतिरिक्ति नमाजों का पढ़ना भी नेकी कमाने का जरिया होता है. पूरी रात जागकर घर पर नमाज पढ़ने को ये अच्छा मौका है.


मगर ज्यादातर विद्वानों का मानना है कि खास पकवान पकाना, मिठाइयां बांटना, रोशनी करना या पटाखे फोड़ना इस्लाम के शुरुआती दौर से साबित नहीं है. इसे अच्छा नहीं माना जाता है.


इन दिनों शब-ए-बरात के मौके पर स्टंट करना या ऐसी हुड़दंग करना गैर इस्लामी है और ये बड़े शहरों की खुराफात है.


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