Vijayadashami 2023: दशहरा यानी ‘विजयादशमी‘ उत्सव आश्विन महीने की दशमी तिथि, पराक्रम योग, बुधादित्य योग, रवि योग, गण्ड़ योग और धनिष्ठा नक्षत्र के संयोग में मंगलवार, 24 अक्टूबर 2023 को है.


आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि यही वह दिन है जब भगवान श्री राम ने लंका नरेश रावण का वध करके विजय प्राप्त की. इस पर्व को अज्ञान पर ज्ञान का, अंधविश्वास पर विश्वास का, अन्याय पर न्याय का और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माना जाता है. इसलिए हर मनुष्य को अपने मन से बुरी सोच को निकाल देना चाहिए.


विजयादशी के पर्व से मिलती है यह सीख



  • दशानन रावण की मृत्यु उनके भ्राता विभीषण के द्वारा राम के समक्ष उनकी नाभी में अमृत होने का भेद खोलने के कारण हुई थी. तभी से यह कहावत बनी है कि ‘घर का भेदी लंका ढाये.’ इससे सीखना चाहिए कि मनुष्य को अपने सीक्रेट किसी से शेयर नहीं करने चाहिए.

  • वहीं विभीषण ने धर्म और अपने भाई के मध्य धर्म को चुना. इससे हमें यह भी सीख मिलती है कि हम सभी को धर्म के रास्ते पर चलना चाहिए. क्योंकि धर्म सभी रिश्तों से बढ़कर है.

  • रावण तंत्र-मंत्र, सिद्धियों, शास्त्रों के ज्ञाता, प्रकाण्ड पंडित, ज्योतिषी तथा तपस्वी होने के साथ रावण देवाधिदेव महादेव का महान भक्त था. लेकिन जब भक्ति से उन्हे शक्ति प्राप्त हुई तो वह भक्ति मार्ग से भटक कर अंहकारी और अत्याचारी हो गए. अंहकार और अत्याचार हमेशा पतन का मार्ग प्रशस्त करते हैं.

  • विजय दशमी का पर्व सिर्फ पर्व ही नहीं है बल्कि हमारे जीवन में व्याप्त दस प्रकार के विकारों-काम, क्रोध, मोह, लोभ, मद, मत्सर, अंहकार, आलस्य, हिंसा और चोरी को त्यागने की प्रेरणा देता है.


विजयादशमी पर इन कामों को माना जाता है शुभ



  • इस दिन विजय मुहूर्त में दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से 2 बजे के बीच भगवान श्रीराम और सरस्वती की पूजा के साथ ही अस्त्र-शस्त्रों, घोड़ों और वाहनों की विशेष पूजा करें.

  • इस पर्व पर विक्रमादित्य ने शस्त्र पूजन किया था इसलिए दशहरे पर शमी पूजा और शस्त्र पूजन की परंपरा चली आ रही है.

  • इस दिन संध्या के समय नीलकंठ का दर्शन शुभ माना जाता है. 

  • वहीं द्वापर युग में अर्जुन ने जीत के लिए विजयदशमी पर शमी वृक्ष की पूजा की थी. 

  • इसी दिन भगवान श्रीराम के लंका प्रस्थान करते समय शमी वृक्ष ने भगवान की विजय का उद्घोष किया था. इसलिए विजयकाल में अपराजिता और शमी पूजन किया जाता है.

  • अश्विन महीने के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि यानी विजयादशमी को स्वयंसिद्धि अबूझ मुहूर्त कहा गया है. इस मुहूर्त में विवाह के अलावा हर तरह के शुभ कार्य हो सकते हैं. इसलिए प्रॉपर्टी, व्हीकल, फ्लैट, घर, बिल्डिंग, वास्तु, बिजनस, ऑफिस, ट्रैवल, संपत्ति खरीदारी-बिक्री के लिए दिन में कोई मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं है. 


विजयादशी के उपाय (Vijayadashami 2023 Upay)



  • इस दिन आप घर के पूजन कक्ष में बैठकर बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर भोजपत्र पर अनार की कलम द्वारा अष्टगंध से आपको जो भी जीवन में समस्याएं आ रही हैं, वो लिखे. इसके बाद भोजपत्र के समक्ष 5 दीपक प्रज्जवलित करें और प्रत्येक दीपक में थोड़ी सरसों व एक-एक लौंग डाल दें. फिर गुलाब के पुष्प लेकर ‘‘ऊँ श्रीं ह्रीं ऐं विजय सिद्धि वरदाय देहि मम वांछित फलम् ऐं ह्रीं श्रीं ऊँ”. इस मंत्र का 5 माला जाप करते-करते भोजपत्र पर चढ़ाते रहें. मंत्र जाप पूर्ण होने के बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना करे कि भोजपत्र पर लिखी समस्या का समाधान हो और परिवार में सदैव सुख-शांति बनी रहे. ऐसा करने के बाद भोजपत्र को किसी भी बहते जल में प्रवाहित कर दें और मन ही मन ऐसा सोचे की आपकी विपत्तियां समाप्त हो रही है. वापस घर आकर हाथ-मुंह धो लें.

  • घर में सुख-समृद्धि-संपन्नता के लिए- रावण दहन से पहले मां दुर्गा की सहायक योगिनी जया और विजया का पूजन करें. इसके बाद शमी वृक्ष की पूजा करें और फिर वृक्ष के पास की थोड़ी सी मिट्टी लाकर घर के पूजा स्थल में रखें.  

  • इसके साथ ही इस दिन मंदिर में नई झाडू और गुप्त दान करने से जीवन में कष्टों के साथ रूपये-पैसों की कमी भी दूर होगी.


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