Vidur Niti : विदुर महाभारत के सबसे लोकप्रिय पात्रों में से हैं. महाभारत के युद्ध को लेकर जब विदुर की राय ली गई तो विदुर ही एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने इस युद्ध को विनाशकारी बताया था. विदुर हमेशा सत्य बोलते थे. विदुर कौरवों और पांडवों के भी प्रिय थे. वे दासी पुत्र थे. इसलिए उन्हें राजा बनने का अधिकार नहीं था. भगवान श्री कृष्ण भी उनकी प्रशंसा करते थे. विदुर को धर्मराज का अवतार भी कहा गया है. विदुर की शिक्षाएं ही विदुर नीति कहलाती हैं. आइए जानते हैं आज की विदुर नीति...


मित्रों के सामने नहीं पत्नी का नहीं करना चाहिए अपमान


पत्नी को हमेशा सम्मान देना चाहिए. उसके गुणों की सराहना करनी चाहिए. दूसरों के सामने पत्नी का कभी अपमान नहीं करना चाहिए. ये श्रेष्ठ पुरूष की निशानी नहीं है. जो व्यक्ति अपनी पत्नी का सम्मान करते हैं, गलतियों पर ताना नहीं देते, डांटते और क्रोध भी नहीं करते ऐसे व्यक्ति सम्मान पाने के हकदार होते हैं.


समझदार व्यक्ति पत्नी के सम्मान को अपना सम्मान समझता है. पत्नी अगर गलती करती है तो ऐसे लोग उसे समझाते हैं उसकी गलतियों को दूर करने का प्रयास करते हैं. पत्नी के मनोबल को कभी कमजोर न होने दें. पत्नी में आत्मविश्वास पैदा करें. उसे अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करें. ऐसा करने से व्यक्ति की शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है, आपसी समंजस्य बना रहता है. घर में धन का आगमन होता है. कलह का नाश होता है.


विद्वान का हमेशा सम्मान करना चाहिए
जिस घर में विद्वानों को सम्मान मिलता है. उस घर में शिक्षा, कलात्मकता और प्रतिभा का वास होता है. घर में लक्ष्मी का भी आगमन बना रहता है. इसलिए घर में विद्वान के आने पर उसका आर्शीवाद प्राप्त करना चाहिए. उसका सानिध्य मिलने से जीवन में रोशनी आती है. उसके साथ सत्संग करने से ज्ञान में वृद्धि होती है. तर्क करने की क्षमता विकसित होती है. विचारों की मौलिकता में बढ़ोत्तरी होती है.


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