Vidur Niti : विदुर नीति व्यक्ति को अच्छा जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित करती है. विदुर का संबंध महाभारत से है. वे एक दासी पुत्र थे. इसलिए प्रतिभाशाली होने के बाद भी वे राजा नहीं बन सके. लेकिन उनकी योग्यता को देखते हुए वे हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री बनाए गए. वे कौरवों और पांडवों के भी प्रिय थे. वहीं भगवान कृष्ण भी उनका सम्मान करते थे. वे सदा ही सत्य बोलते थे और जीवन भर सत्य के मार्ग पर ही चले. विदुर की नीतियां व्यक्ति को श्रेष्ठ बनाती हैं. जानते हैं आज की विदुर नीति-


अपनी तारीफ करने वाला घमंडी होता है


जो व्यक्ति स्वयं अपनी प्रशंसा करता है वह घमंडी होता है. ऐसे व्यक्ति सदैव ही अपने आपको दूसरों से श्रेष्ठ साबित करने में लगे रहते हैं. इसके लिए वे कई बार मर्यादाओं को भी लांघ जाते हैं. ऐसे व्यक्ति दूसरों का भी इस्तेमाल करने से नहीं चूकते हैं. ऐसे लोगों से सदा ही होशियार रहना चाहिए. जो अपने मुख से अपनी ही तारीफ करता रहता है वह स्वार्थी होता है. अपने लाभ के लिए वह किसी भी स्तर पर जा सकता है. विदुर कहते हैं कि ऐसी प्रवृत्ति के लोग जहां पर भी मिलें उनसे किनारा कर लेना ही अच्छा होता है. समाज में ऐसे लोगों के चरित्र की उम्र अधिक लंबी नहीं होती है.


अच्छे वक्ता बनने से पहले अच्छे श्रोता बने


विदुर नीति के अनुसार आपकी बात को तभी सुना जाएगा जब आप दूसरों की बातों को ध्यान से सुनेंगे. जो ऐसा नहीं करते हैं वे कभी अच्छा वक्ता नहीं बन सकते हैं. अच्छा वक्ता बनने का सबसे पहला गुण अच्छा श्रोता बनना है. इसलिए दूसरों की बातों को भी सुनना और समझना चाहिए. समाज में उसी व्यक्ति की वाणी को अधिक पसंद किया जाता है जो सामने वाले व्यक्ति की भी सुनता है. उसे सम्मान प्रदान करता है.


Vidur Niti:पत्नी का मित्रों के सामने अपमान नहीं करना चाहिए