Utpanna Ekadashi 2021: मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी उत्पन्ना एकादशी कही जाती है. इस साल उत्पन्ना एकादशी सोमवार, 29 नवंबर को है और पारण मुहूर्त एक दिसंबर को बुधवार सुबह 7.34 से 9ः02 बजे तक रहेगा. सुबह का समय व्रत खोलने के लिए बहुत शुभ है. पद्म पुराण अनुसार उत्पन्ना एकादशी व्रत में विष्णु समेत देवी एकादशी की पूजा विधान है. मान्यता अनुसार जो व्यक्ति उत्पन्ना एकादशी का व्रत करता है उस पर भगवान विष्णु जी की असीम कृपा बनी रहती है.


पुराणों के अनुसार कि इसी दिन विष्णुजी ने राक्षस मुर का वध किया था, इसलिए यह एकादशी उत्पन्ना एकादशी कही जाती है. तब से मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष के एकादशी को उत्पन्ना व्रत किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार एकादशी का व्रत नहीं रखते हैं तो भी इस दिन चावल नहीं खाने चाहिए. व्रत रखते हुए एक समय फलाहार किया जा सकता है.


पारण समय
इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर होता है. साथ ही ख्याल रखना होता है कि एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि खत्म होने से पहले ही किया जाए. अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले खत्म हो गई है तो एकादशी व्रत पारण सूर्योदय बाद होगा.


उत्पन्ना एकादशी व्रत विधि (Utpanna Ekadashi Vrat Vidhi)
1. एकादशी का व्रत दशमी तिथि से शुरू हो जाता है. एक दिन पहले यानी दशमी रात भोजन नहीं करना चाहिए.
2. एकादशी व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान कर पवित्र हो जाएं. साफ कपड़े पहनें. सुबह भगवान विष्णु और देवी एकादशी की आराधना करें।
3. विधि-विधान से उत्पन्ना एकादशी व्रत की पूजा करें, पूजा करने के बाद व्रत का पूरा दिन सत्य, अहिंसा और सत्कर्मों में ही व्यतीत करें.
4. एकादशी व्रत रखने वाले व्यक्ति को विशेष तौर पर जीव हत्या, झूठ, बुरे कर्म, हिंसात्मक गतिविधियां और बेईमानी से बचना चाहिए. जो व्यक्ति एकादशी व्रत रखकर इनमें लिप्त रहता है उसे पाप भोगना पड़ता है.
5. एकादशी को ज्यादा-से-ज्यादा मंत्र जाप, देवी ध्यान, भगवान विष्णु या अवतारों का ध्यान और कीर्तन करना चाहिए. ऐसा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है.
6. सूर्यास्त पर फिर भगवान विष्णु की पूजा कर मौसमी फल या मिठाई का भोग लगाएं.
फिर परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद दें और स्वयं भी फल का ही प्रसाद लें.
7. इस व्रत में फलाहार या दूध आदि ले सकते हैं, निर्जला व्रत है तो फलाहार और दूध का सेवन ना करें. यह व्रत अगले दिन खोला जाता है यानी पारण अगले दिन सूर्योदय पर होगा.
8. एकादशी के अगले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर विष्णु पूजा करें. फिर अनाज दान कर पारण के समय पर व्रत खोलें.


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