जीवन में सफल होने के लिए कुछ नया करना होता है. जीवन में सफल होने के लिए स्वयं को दूसरों के लिए आदर्श के रूप में प्रस्तुत करना होता है. दुनिया में हजारों लोग सफल जीवन जीते हैं. क्या सभी लोगों को लोग याद रखेंगे बिलकुल नहीं. दुनिया उन्हीं को याद रखती है जो कुछ अलग करते हैं. इस दुनिया से अलग स्तर बनाते हैं. इसके लिए एक निश्चित समय के बाद भी आदर्श बनाए रखना बुराई मानी जाती है. आप जब किसी को आदर्श बनाते हैं तो कहीं न कहीं उससे प्रभावित होते हैं. अनुसरण करने लगते हैं या कहें नकल करने लगते हैं. जब आप नकल करेंगे तो फिर नयापन कहाँ से आएगा. क्योंकि वह किला तो उस व्यक्ति ने पहले ही फतह किया हुआ है. जब भी आप कुछ करने जाएँगे लोग कहेंगे कि यह उसकी तरह कर रहा है. दूसरी तरह से कहें तो आप एक स्कूल के विद्यार्थी कहलाएंगे.



लेकिन यह बात भी सत्य है कि अलग करने का हुनर बिना नकल के नहीं आता है. मान लीजिए आप गाने में कैरियर बनाना चाहते हैं तो आपको पुराने गायकों की पहले नकल करनी पड़ेगी. इस नकल से आप नया तो कुछ नहीं कर पाएंगे लेकिन पहले से स्थापित मानदण्डों को प्राप्त कर लेंगे. आप वहां खड़े हो जाएंगे जहां साधारण उस स्कूल के विद्यार्थी खड़े होते हैं. आपको भी रागरागनियों का पूरा ज्ञान हो जाएगा.

इस स्तर के बाद ही आपकी आगे की यात्रा प्रारंभ होगी. जब आप उस क्षेत्र में उस समय तक की सारी उपलब्धियों को प्राप्त कर लेंगे, तब फिर आप अपने लक्ष्य की ओर बढ़ सकते हैं. इसके बाद ही आपकी अपनी स्टाइल और अपना तरीका विकसित होगा जो संगीत के मान्य नियमों पर आधारित होगा. यह आपको स्थापित करेगा. संगीत के क्षेत्र में तमाम बड़े गायक इसी तरीके से फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हुए हैं. यह नियम केवल संगीत में ही नहीं बल्कि जीवन के हर क्षेत्र पर लागू होता है. फिर चाहे वो संगीत हो, कोई और कला हो, व्यापार हो या विज्ञान बिना मान्य स्तर को छुए कोई भी उसके पार नहीं जा सकता है. लेकिन यह भी उतना ही सत्य है कि अगर आदर्श बना कर चलोगे तो सफल नहीं होओगे. इसलिए आदर्श मत बनाइए आदर्श बनने की कोशिश करिए.