Shani dev Pauranik Katha: सूर्य पुत्र शनि देव दंडाधिकारी कहलाते हैं. क्योंकि वे सभी को कर्मों के अनुसार फल देते हैं. इसलिए उन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है. हालांकि शनि देव के इस गुण के कारण मानव और देवता सभी उनसे भय रखते है. कहा जाता है कि व्यक्ति यदि भूलवश भी कोई गलती कर दे तो वह शनि देव के दंड के विधान से बच नहीं पाता है. यही कारण है कि हर व्यक्ति चाहता है कि उसकी कुंडली में शनि की स्थिति ठीक रहे और उसे शनि दोष से पीड़ित न होना पड़े. लेकिन एक बार शनि देव को स्वयं श्राप का भागी बनना पड़ा था.


शनि देव को उनकी पत्नी द्वारा ही श्राप दिया गया था. इस श्राप ने आज तक शनि देव का पीछा नहीं छोड़ा, जिस कारण वे सिर झुकाकर चलते हैं. जानते हैं शनि देव की पत्नी और इस पौराणिक कथा के बारे में.


जब शनि देव को पत्नी द्वारा मिला श्राप


ब्रह्मपुराण के अनुसार, शनि देव श्री कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे. वे अपना ज्यादातर समय श्रीकृष्ण की उपासना में ही व्यतीत करते थे. शनि देव का विवाह चित्ररथ की कन्या से हुआ. शनि देव की पत्नी परम सती-साधवी, पतिव्रता और तेजस्वनी थीं.


इस कारण सिर नीचे झुकाकर चलते हैं शनिदेव


शनि देव की पत्नी को एक बार संतान प्राप्ति की इच्छा हुई. इसके लिए वह शनिदेव के पास पहुंची. लेकिन शनिदेव कृष्ण भक्ति में लीन थे. पत्नी के खूब प्रयास के बाद भी शनि देव का ध्यान भंग नहीं हो पाया. इसके बाद शनि देव की पत्नी को क्रोध आ गया और उन्होंने क्रोध में ही शनि देव को श्राप दे दिया. पत्नी ने कहा कि आज के बाद जिस व्यक्ति पर शनि देव की दृष्टि पड़ेगी वह तबाह हो जाएगा.


ध्यान से जागने के बाद शनि देव को भूल का आभास हुआ और उन्होंने पत्नी को मनाने की कोशिश की. इसके लिए शनिदेव ने क्षमा भी मांगी. लेकिन शनि देव की पत्नी के पास श्राप को निष्फल करने की शक्ति नहीं थी. इसी घटना के बाद से शनि देव अपना सिर नीचे करके चलने लगे, जिससे की उनकी दृष्टि से किसी का अकारण विनाश न हो.


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