Shani Dev Bhog: हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं की पूजा के कुछ विशेष नियम होते हैं. विधि और नियमपूर्वक पूजा करने से ही देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और पूजा-पाठ का शुभ फल प्राप्त होता है. पूजा-पाठ से जुड़े कई नियमों में एक है ‘भोग’. पूजा के दौरान भगवान को उनकी प्रिय चीजों का भोग जरूर लगाना चाहिए.


पूजा में भोग लगाने को जरूरी प्रकिया माना जाता है. साथ ही भोग लगाते समय नियमों का पालन भी करना चाहिए. बात करें शनि देव की तो, शनि देव को प्रसन्न करने के भी कई उपाय बताए गए हैं. माना जाता है कि शनिवार के दिन भगवान शनि की पूजा करने और उनकी पसंदीदा चीजों का भोग लगाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और शनि के अशुभ प्रभाव भी कम होते हैं. आइये जानते हैं शनि देव की पूजा में किन चीजों का भोग लगाना चाहिए.


शनि देव के प्रिय भोग (Shani Dev ke Bhog)


शनि देव को कुछ विशेष चीजों का भोग लगाया जाता है. शनि देव की पूजा करते समय भोग में आप गुड़, काली उड़द दाल की खिचड़ी, काले तिल से बनी चीजें, मीठी पुड़ी, गुलाब जामुन आदि चीजों का भोग लगा सकते हैं. लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि भोग शुद्ध और सात्विक हो. इन चीजों का भोग लगाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. साथ ही कुंडली से शनि दोष, साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा का प्रभाव भी कम होता है.


इन बातों का रखें ध्यान (Shani Dev Puja Niyam)



  • शनि देव को भोग लगाते समय इस बात का ध्यान रखें भोग सात्विक रूप से तैयार किए गए हों. यानी भोग में लहसुन-प्याज जैसी चीजों का इस्तेमाल न करें.

  • शनि देव को कभी भी पीतल या तांबे के पात्र में भोग न लगाएं. शनि देव को भोग लगाने के लिए लोहे के बर्तनों को सबसे अच्छा माना जाता है.

  • शनि देव की पूजा करते समय आप काले या नीले रंग के वस्त्र पहनें और पूजा के दौरान शनि देव की आंखों में न देखें. 


शनि देव को भोग लगाने के मंत्र (Shani Dev Bhog Mantra)


शनि देव को भोग लगाने के बाद बाद काली तुलसी की माला से ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें. इसके बाद तिल या सरसों के तेल का दीप जलाएं और शनि देव की आरती करें-


शनि देव आरती (Shani Dev Aarti in Hindi)


जय-जय श्रीशनिदेव भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ।। जय-जय ।।
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ।। जय-जय ।।
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहार ।। जय-जय ।।
मोदक मिष्ठान पान चढ़त है सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ।। जय-जय ।।
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ।। जय-जय ।।


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