Ekadashi 2022 October: पंचांग (Panchang) के अनुसार 21 अक्टूबर 2022, शुक्रवार को कार्तिक कृष्ण (Kartik 2022) पक्ष की एकादशी तिथि है. इस एकादशी को रमा एकादशी (Rama Ekadashi 2022) के नाम से जाना जाता है. पौराणिक ग्रंथों में एकादशी तिथि को बहुत ही शुभ बताया गया है. इस तिथि में रखा जाने वाला व्रत भी सभी व्रतों में श्रेष्ठ बताया गया है. एकादशी व्रत का जिक्र महाभारत की कथा में भी मिलता है.


एकादशी का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है. इस व्रत में विशेष नियम और अनुशासन का पालन करना होता है. मान्यता है कि विधि पूर्वक एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस दिन चावल का सेवन करना अच्छा नहीं माना गया है, इसके पीछे क्या वजह है आइए जानते हैं-


पौराणिक मान्यता और विज्ञान
शास्त्रों में पांच ज्ञानेंद्रियां, पांच कर्म इंद्रियां और एक मन के बारे में बताया गया है. कहते हैं कि जो इन ग्यारहों को साध लेता है, वो व्यक्ति एकादशी के समान पवित्र और दिव्य हो जाता है. 


चावल का जल से गहरा संबंध
चावल का संबंध जल से है,और जल का संबंध चंद्रमा से है. ज्ञान इंद्रियां और कर्म इंद्रियों पर मन का ही अधिकार है.मन ही जीवात्मा का चित्त स्थिर और अस्थिर करता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मन और श्वेत रंग के स्वामी चंद्रमा  हैं. चंद्रमा ही जल, रस और हमारी भावना का कारक हैं. 


भीम न रखा था निर्जला एकादशी का व्रत
एकादशी की तिथि पर शरीर में जल की मात्रा जितनी कम रहेगी, व्रत पूर्ण करने में उतनी ही अधिक सात्विकता रहेगी. महाभारत काल में भीम को  इसलिए निर्जला एकादशी रखने की सलाह दी जाती है. 


आदिकाल में नारद जी ने एक हजार वर्ष तक एकादशी का निर्जला व्रत करके नारायण भक्ति प्राप्त की थी. भगवान विष्णु की कृपा पाने के एकादशी का व्रत सर्वश्रेष्ठ है.चंद्रमा मन को अधिक चलायमान न कर पाए, इसलिए एकादशी का व्रत रखने वालों को चावल न खाने की सलाह दी जाती है.


पौराणिक कथा (Mythology)
एक पौराणिक कथा के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से भागते-भागते भयभीत महर्षि मेधा ने अपने योग बल से शरीर छोड़ दिया और उनकी मेधा पृथ्वी में समा गई, वहीं मेधा जौ और चावल के रूप में उत्पन्न हुईं. जिस दिन ये घटना घटित हुई उस दिन संयोग से एकादशी की तिथि थी. जौ और  चावल महर्षि की ही मेधा शक्ति है, जिस कारण इसे जीव माना गया. इस दिन चावल खाना महर्षि मेधा के शरीर के छोटे-छोटे मांस के टुकड़े खाने जैसा माना गया है.


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