Pradosh Vrat 2021 Dates: प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा का विशेष पुण्य प्राप्त होता है. भगवान शिव का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए प्रदोष व्रत को उत्तम बताया गया है. शिव भक्त इस व्रत को बहुत ही श्रद्धा और भक्तिभाव से रखते हैं. मान्यता है कि विधि पूर्वक प्रदोष व्रत करने से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं.


दांपत्य जीवन में बनी रहती है सुख शांति
प्रदोष व्रत उन लोगों के लिए बहुत ही लाभकारी बताया गया है जिन लोगों के दांपत्य जीवन में कोई न कोई परेशानी बनी ही रहती है. दांपत्य जीवन में कलह और तनाव की स्थिति को भी प्रदोष व्रत बहुत ही कारगर माना गया है. महिलाएं और पुरूष दोनों ही इस व्रत को रख सकते हैं. प्रदोष व्रत में भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए और भगवान शिव की प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए. इसके साथ ही शुभ मुहूर्त में शिव आरती और शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए.


विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं
जिन कन्याओं के विवाह में कोई अड़चन आ रही है. या फिर विवाह में देरी हो रही तो इस स्थिति में भी प्रदोष व्रत शुभ फलदायी माना गया है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा करनी चाहिए. इस दिन व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए. प्रदोष व्रत में सुबह और शाम के समय पूजा करनी चाहिए.


प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
9 अप्रैल शुक्रवार को चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि का आरंभ प्रात: 3 बजकर 15 मिनट से होगा और 10 अप्रैल शनिवार प्रात: 4 बजकर 27 मिनट पर त्रयोदशी की तिथि का समापन होगा.


प्रदोष काल में पूजा मुहूत
पूजा का समय: 9 अप्रैल की शाम 5 बजकर 55 मिनट से लेकर 8 बजकर 12 मिनट तक.


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