Mokshada Ekadashi 2020 Date: एकादशी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. महाभारत कथा में भी एकादशी व्रत का जिक्र आता है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर और अर्जुन को एकादशी व्रत के महामात्य के बारे में बताया था.


मोक्षदा एकादशी व्रत का महत्व
मोक्षदा एकादशी व्रत को बहुत ही विशेष माना गया है. मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. मार्गशीर्ष मास को भगवान श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय मास माना गया है. श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के ही अवतार है.


रोग, दरिद्रता और तनाव को कम करता है ये व्रत
मोक्षदा एकादशी का व्रत रोग, दरिद्रता, तनाव और कलह का नाश करता है. इस व्रत को विधि पूर्वक करने से पितृ भी प्रसन्न होते हैं और अपना आर्शीवाद प्रदान करते हैं. वहीं मोक्षदायिनी एकादशी पुण्य फल देने वाली होती है. जो लोग इस दिन सच्चे मन से पूजा आराधना करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. और वह मोक्ष को प्राप्त करता है.


मोक्षदायिनी एकादशी व्रत मुहूर्त-
एकादशी तिथि प्रारंभ- 24 दिसंबर की रात 11 बजकर 17 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 25 दिसंबर को देर रात 1 बजकर 54 मिनट तक


मोक्षदा एकादशी पूजा विधि
एकादशी व्रत को कठिन व्रतों में से एक माना गया है. एकादशी का व्रत एकादशी की तिथि से ही आरंभ हो जाता है और द्वादशी की तिथि को व्रत के पारण के बाद ही समाप्त होता है. इस व्रत में नियमों का पालन करना चाहिए. 25 दिसंबर को एकादशी की तिथि पर व्रत आरंभ करने से पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए. पूजा स्थल को गंगाजल को छिडककर पवित्र करें और भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराएं. इसके बाद भगवान को रोली, चंदन, अक्षत आदि अर्पित करें. इस दिन पीले फूलों से श्रृंगार करने के बाद भगवान को भोग लगाएं. विष्णु भगवान को तुलसी के पत्ते चढ़ाएं. इसके उपरांत भगवान गणेश जी, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें.


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