Navratri Ashtami Navami 2020 Date: नवरात्रि में नवमी के दिन मां दुर्गा के 9वें रूप सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है. यह देवी अपने सभी भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करती हैं. इसलिए इसदिन सिद्धिदात्री की पूजा बड़े विधि विधान से की जाती हैं.


इस बार अष्टमी 23 और 24 अक्टूबर को है. चूंकि 23 अक्टूबर को सप्तमीवेध अष्टमी है. इस लिए अष्टमी और आश्विन शुक्ल नवमी का पर्व एक साथ 24 अक्टूबर 2020 को मनाया जायेगा. धर्मशास्त्र के मुताबिक़ इस बार की अष्टमी युक्त नवमी विशेष शुभकारी भी है. माना जाता है कि भगवान शिव ने भी अपनी समस्त सिद्धियां मां सिद्धिदात्री की कृपा से प्राप्त की थीं. इन्हीं की अनुकम्पा से भगवान शिव अर्द्धनारीश्वर कहलाए.


मधु-कैटभ नामक राक्षसों का वध


मधु-कैटभ नामक दो राक्षसों का वध करने के लिए देवी माता ने बहुत रूप फैलाए, जिससे देवी के बहुत रूप हो गए. इसे देखकर दानवों को भ्रम हुआ कि यह कौन सी देवी हैं कि जो माया का प्रसार कर रहीं हैं.  पूरा लोक इनके मोह माया में फंसा जा रहा है. दानवों के पूंछने पर देवी कहती हैं कि ये मेरी शक्तियों के ही रूप हैं. देखो ये सभी मुझमें ही समाहित हो रहीं हैं. यही तांत्रिकों को तंत्र विद्या प्रदान करने वाली मां कमला हैं.


नवमी के दिन कन्या पूजन का है विधान


आश्विन शुक्ल नवमी के दिन कन्या पूजन का विधान है. परन्तु जब नवमी के साथ अष्टमी हो अर्थात अष्टमी युक्त नवमी हो तो कन्या पूजन का महत्त्व और बढ़ जाता है. ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा इन कन्याओं के माध्यम से अपना पूजन स्वीकार करती हैं. ऐसी मान्यता है कि इन कन्याओं को भोजन कराने से मां बहुत प्रसन्न होती हैं. तथा यह भोजन मां  दुर्गा जो भी को प्राप्त होता है. इसलिए कन्याओं को भोजन बहुत ही विधि विधान से कराये जाने का विधान है.


इन कन्याओं के साथ दो बटुक कुमारों गणेश और भैरव को भी भोजन कराया जाता है. इसके बिना पूजा अधूरी रहती है. कन्याओं को भोजन में हलुआ पूरी, छोले आदि के साथ कोई एक फल भी दिया जाता है. इसके अलावा उन्हें भोजन के समय सामर्थ्य के अनुसार ख़ुशी पूर्वक दक्षिणा भी प्रदान किया जाता है. कन्याएं जितनी कम उम्र की हों उतना ही अच्छा फल प्राप्त होता है. 10 वर्ष से अधिक उम्र की कन्याएं नहीं होनी चाहिए. कन्याओं को घर से विदा करते समय पैर छूकर आशीर्वाद भी लेना चहिये.