Peetal and Tamba: Metal Brass and Copper: सृष्टि के पालनकर्ता श्रीविष्णु को प्रिय है पीले रंग (Yellow Color) की धातु पीतल (Brass), तो देवताओं के देवगुरू बृहस्पति (Guru) से है पीतल (Peetal) का संबंध.


पीतल मिश्रित धातु है जो तांबा व जस्ता (Zinc) के मिश्रण से तैयार होती है और तो और आरोग्य के देवता भगवान धनवंतरी को अति प्रिय है पीतल.


पूजा-पाठ व धार्मिक कार्यो में भी पीतल का उपयोग किया जाता है. सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां और सिंहासन पीतल के ही बनाए जाते हैं. कई जगह मंदिर में घंटे भी कांसा के बजाय पीतल (Peetal) के लगाए जाते हैं. इन धातुओं के लेकर कई मान्यताएं भी हैं- 


जन्म से लेकर मृत्यु तक पीतल का धार्मिक महत्व (Brass Significance)


सृष्टि के पालनकर्ता श्रीविष्णु (Lord Vishnu) को प्रिय है, तो घर में जब पुत्र जन्म लेता है तो पीतल की थाली बजाई जाती है. कन्यादान (Kanyadaan) के समय पीतल आवश्यक होता है.


जन्म के समय पीतल की थाली (Thali) तो मरणोपरांत दसवें दिन नारायण बलि, बारहवें दिन त्रिपंडी, श्राद्ध (Shradh), पिंडदान (Pind Daan) में व शुद्धि हवन (Hawan) में इसका उपयोग किया जाता है. घर में शुद्धि के लिए पीतल के पात्र में सोने (Gold) का गहना डालकर छिड़काव किया जाता है, जिससे शुद्धिकरण हो जाता है.


पीतल से पाएं सौभाग्य, संतान सुख (Brass Religious Importance)


पीतल से देवगुरू बृहस्पति प्रसन्न होते हैं, इसीलिए बृहस्पति (Jupiter) को पीली वस्तुओं का दान प्रिय है. देवी बग्लामुखी के अनुष्ठान में तो सारे के सारे बर्तन (Brass Utensils) केवल पीतल के ही उपयोग किए जाते हैं, अन्य किसी धातु के नहीं. सौभाग्य प्राप्ति के लिए पीतल के कलश में चना दाल भर कर विष्णु मंदिर में चढाया जाता है. सौभाग्य सुख के साथ इससे संतान सुख भी प्राप्त होता है.


तांबा करे रक्तविकार दूर, बढाए कांफिडेन्स (Copper Scientific and Religious Importance)


पीतल का संबंध श्रीविष्णु से है तो तांबे का संबंध आत्मा के कारक सूर्य (Sun) और मंगल ग्रह (Mangal Grah) से है. पूजा में पंचपात्र, आचमनी प्रायः तांबे की ही बनी होती है.


सूर्य (Surya) और मंगल ग्रह (Marsh) से संबंध रखने वाली इस धातु तांबा में प्रचुर मात्रा में औषधीय तत्व होते हैं, यह शरीर में जमा विष को बाहर निकालकर पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है, इसीलिए रात के समय तांबे के लोटे में पानी भरकर रखने व सुबह उठते ही इसे पीने की परंपरा सदियों पुरानी है.


तांबे में रखा पानी पीने से क्या होता है ? (Benefits Of Drinking Water From Copper Bottle)


तांबे के लौटे में रहने से पानी के कीटाणु खत्म हो जाते हैं. तांबे के पात्र में रखे पानी को पीने से वात व पित्त कंट्रोल में रहते हैं जिससे पेट और पाचन तंत्र मजबूत बना रहता है. रक्त विकार दूर हो जाते हैं और गुस्सा नियंत्रण में रहता है कांफिडेन्स बढता है.


तांबा धारण करने के लाभ (Copper Benefits)



  • मान्यता है कि तांबा अग्नि तत्व से भरपूर है. नाभी और हार्मोन्स की समस्या होने पर तांबा अगर कमर पर धारण किया जाए तो लाभ मिलता है.

  • दुर्घटना से रक्षा के लिए तांबे का सिक्का छेद कर गले में धारण किया जाता है. अगर तांबे के साथ सोना मिक्स कर लिया जाए तो इसका प्रभाव दुगना हो जाता है.

  • अनामिका अंगुली (Ring Finger) में तांबे का छल्ला सूर्य (Sun) व चन्द्र (Moon) को बलवान बनाता है जिससे साहस व कांफिडेन्स बढ़ता है.

  • समाज में प्रतिष्ठा बढती है. इससे बॉडी का टेम्परेचर मेंटेन रहता है. ऐसा भी माना जाता है कि तांबा कई प्रकार के रोगों को कम करने में भी सहायक है. ताबें के अधिक लाभ जानने के लिए संबंधित विशेषज्ञ की भी मदद ली जा सकती है.


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