Mauni Amavasya 2023: साल 2023 की पहली अमावस्या यानी कि माघ अमावस्या (Magh Amavasya) बहुत खास मानी जा रही है. माघी अमावस्या 21 जनवरी 2023, शनिवार को है. इसे मौनी अमावस्या भी कहते हैं.


इस दिन शनिवार होने से ये शनिश्चरी अमावस्या भी कहलाएगी. माघ की अमावस्या और पूर्णिमा दोनों ही तीर्थ स्नान-दान के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, ऐसे में शनिश्चरी अमावस्या और इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग अमावस्या के महत्व को दोगुना कर रहा है. आइए जानते हैं शनिश्चरी अमावस्या यानी मौनी अमावस्या का मुहूर्त और कथा.


शनिश्चरी अमावस्या का महत्व (Shanishchari Amavasya 2023 Significance)


पौराणिक कथा के अनुसार मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान करने से साधक को अमृत के गुण प्राप्त होते हैं. अमावस्या तिथि पितरों की शांति के लिए समर्पित है. ऐसे में शनिश्चरी अमावस्या के संयोग में तर्पण और पिंडदान करने से सात पीढ़ी के पूर्वज तप्त हो जाते हैं.


मौनी अमावस्या पर मौन रहकर व्रत, श्राद्ध कर्म और दान करने से दुख-दरिद्रता, कालसर्प, पितृदोष दूर होते हैं और शनिश्चरी अमावस्या के दिन इन कामों का पुण्य अधिक बढ़ जाता है साथ ही शनि के ढैय्या और साढ़ेसाती से मिल रही पीड़ा में कमी आती है.


मौनी अमावस्या का कथा (Mauni Amavasya Katha)


पौराणिक कथा के अनुसार कांचीपुरी नगर में देवस्वामी नाम का एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था. दम्पत्ति के 7 पुत्र और एक पुत्री थी. देवस्वामी ने अपनी पुत्री के विवाह लिए ज्योतिष को उसकी कुंडली बताई. ज्योतिष ने कहा कि पुत्री की ग्रह दशा ठीक नहीं है, विवाह के बाद उसे विधवा का जीवन जीना पड़ेगा. पंडित की बात सुनकर माता-पिता चिंतित हो गए और ज्योतिष से इसका समाधान पूछा.


श्रीहरि की पूजा से पति को मिला जीवनदान


ज्योतिष ने बताया कि ग्रह दोष शांत करने के लिए सिंहलद्वीप की धोबिन सोमा को घर बुलाकर उनकी पूजा करे. ब्राह्मण देवस्वामी ने ऐसा ही किया. अतिथि सत्कार से धोबिन प्रसन्न हो गई और उसने पुत्री को अखंड सौभाग्य का वरदान दिया.


कालांतर में जब ब्राह्मण की पुत्री के पति की मृत्यु हुई तो वे धोबिन के वरदान से पुनः जीवित हो उठा. किन्तु जब धोबिन की पूजा करने का पुण्य क्षीण हो गया, तो पुनः उसके पति की मृत्यु हो गई. बेटी की दशा देखकर ब्राह्मण दंपत्ति मौनी अमावस्या के दिन ने पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा की. श्रीहरि दंपत्ति की उपासना से प्रसन्न हुए और कन्या के पति को जीवनदान दे दिया.


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