Mangla Gauri Vrat 2023: सावन का महीना शिवजी के साथ ही मां गौरी को भी अतिप्रिय होता है. इसलिए सावन में जिस तरह प्रत्येक सोमवार का विशेष महत्व है. ठीक उसी तरह सावन में पड़ने वाले प्रत्येक मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत रखने का विधान है.


मंगला गौरी का व्रत सुहागिन महिला से लेकर कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं. मान्यता है कि इस व्रत से कुंडली में मंगल दोष दूर होता है और विवाह में आ रही बाधाएं समाप्त हो जाती है. वहीं विवाहित स्त्री इस व्रत को करे तो वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है और संतान सुख की भी प्राप्ति होती है. लेकिन जब तक मंगला गौरी व्रत का उद्यापन न किया तो यह व्रत निष्फल माना जाता है. इसलिए जान लीजिए कि, कैसे और कब करना चाहिए मंगला गौरी व्रत का उद्यापन.



कब करें मंगला गौरी व्रत उद्यापन


मंगला गौरी व्रत सावन महीने में रखा जाता है. इसलिए इसका उद्यापन भी सावन माह में ही करना चाहिए. आप सावन माह के शुक्ल पक्ष में इसका उद्यापन कर सकते हैं. 16 मंगला गौरी व्रत रखने के बाद आप 17वें या 20 मंगला गौरी व्रत के बाद 21वें सावन शुक्लपक्ष के मंगलवार के दिन इसका उद्यापन कर सकते हैं. यानी चार साल तक सावन माह के 16 या 20 मंगलवार का व्रत रखने के बाद व्रत का उद्यापन सावन शुक्ल पक्ष के किसी भी मंगलवार को कर सकते हैं.


मंगला गौरी व्रत उद्यापन विधि (Mangla Gauri vrat udyapan vidhi)


मंगला गौरी व्रत के उद्यापन वाले दिन आप सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें और लाल रंग के वस्त्र पहन लें. उद्यापन वाले दिन भी व्रत रखें और गठजोड़े में पूजा करें. एक लकड़ी की चौकी स्थापित करें और इसके चारों ओर केले पत्ते को बांध दें. अब कलश स्थापना करें और कलश के ऊपर मंगला गौरी की स्वर्ण की मूर्ति स्थापित करें. मां को सुहाग का सामान, वस्त्र, नथ आदि चढ़ाकर हमेशा की तरह विधि-विधान से पूजा करें और मंगला गौरी की व्रत कथा सुने. पूजा के दौरान भगवान गणेश का स्मरण करते हुए ‘श्रीमङ्गलागौर्यै नमः‘ मंत्र का जाप करें और आखिर में सोलह दीपों से आरती करें.


उद्यापन की पूजा समाप्त होने के बाद पुरोहित और सोलह सुहागिन स्त्रियों को भोजन कराएं. जब सावन में आखिरी मंगला गौरी का व्रत पड़े तो इस दिन पति के साथ हवन करें. पूजा में परिवार वालों और सगे-संबंधियों को भी शामिल करें. पूजा के बाद बड़ों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें. आप किसी पुरोहित द्वारा भी मंगला गौरी व्रत का उद्यापन करा सकते हैं. इस तरह पूरे निमय और विधिपूर्वक से मंगला गौरी व्रत का उद्यापन करने से सुहागिन स्त्रियों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है.


ये भी पढ़ें: Mangalwar Daan: मंगलवार को कभी न करें इन चीजों का दान, कुंडली में मंगल हो जाएंगे कमजोर



Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें