MahaRaja Agrasen Jayanti 2022: भगवान राम के वंशज माने जाने वाले महाराजा अग्रसेन की जयंती 26 सितंबर 2022 को हैं. महाराजा अग्रसेन अग्रवाल समाज के पितामह और वैश्य समाज का संस्थापक कहे जाते है. हर साल अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को महाराजा अग्रसेन का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इसी दिन नवरात्रि का पहला दिन भी है.इस दिन व्यापार संघ के लोग महाराज अग्रेसन की पूजा अर्चना करते हैं. आइए जानते हैं महाराजा अग्रसेन से जुड़ी रोचक जानकारियां.


महाराजा अग्रसेन कौन थे



  • महाराजा अग्रसेन श्रीराम की में 34वीं पीढ़ी में द्वापर के अंतिम काल और कलियुग के प्रारंभ में जन्मे थें. प्रतापनगर के राजा वल्लभसेन और माता भगवती देवी के बड़ी संतान थे. प्रताप नगर राजस्थान और हरियाणा के बीच सरस्वती नदी के किनारे बसा है. हरियाणा, यूपी में अग्रसेन जयंती धूमधाम से मनाई जाती है.

  • महाराजा अग्रसेन ने ही अग्रोहा राज्य की स्थापना की थी. इन्हें  आदर्श समाजवाद का अग्रदूत, गणतंत्र का संस्थापक और अहिंसा का पुजारी कहा जाता है. अग्रसेन जी के जीवन के 3 आदर्श रहे हैं, एक लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था, दूसरा आर्थिक समरूपता और तीसरा सामाजिक समानता.


महाराजा अग्रसेन से जुड़ी पौराणिक कथा


महाराजा अग्रसेन बचपन से ही पराक्रमी और तेजसवी थे. इनका विवाह नागराज मुकुट की बेटी माधवी से हुआ था. एक बार इंद्रदेव के श्राप से महाराजा अग्रसेन के राज्य में सूखा पड़ गया. चारो तरफ हाहाकार मच गया. राज्य की आर्थिक व्यवस्था भी चरमरा गई. ऐसे में महाराजा अग्रसेन ने भगवान शिव से खुशहाली और मां लक्ष्मी से धन संपदा लौटाने की कामना करते हुए तप किया.


वंश को बढ़ाकर स्थापित किया राज्य


अग्रसेन की कठिन तपस्या से प्रसन्न हुए और राज्य में फिर हरियाली छा गई. वहीं लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया तो मां लक्ष्मी ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए और धन वैभव प्राप्त करने का आशीर्वाद दिया और कहा कि तप को त्याग कर गृहस्थ जीवन का पालन करो और अपने वंश को आगे बढ़ाओ, तुम्हारा यही वंश कालांतर में तुम्हारे नाम से जाना जाएगा.


ऐसे हुए 18 गोत्रों की स्थापना


महाराजा अग्रसेन ने राज्य के नागराज महिस्त कन्या सुंदरावती से दूसरा विवाह किया. जिससे उन्हें 18 पुत्रों की प्राप्ति हुई. राजा अग्रसेन ने माता लक्ष्मी के कहे अनुसार वैश्य समाज की स्थापना की. अग्रोहा राज्य को 18 भागों में बांट दिया और 18 गोत्रों की स्थापना की -बंसल, बिंदल, धारण, गर्ग, गोयल, गोयन, जिंदल, कंसल, कुच्छल, मंगल, मित्तल, नागल, सिंघल, तायल और तिंगल शामिल हैं


Navratri 2022: नवरात्रि में अखंड ज्योति प्रज्वलित करते समय इन बातों का रखेंगे ध्यान तो मां दुर्गा की पूरे घर पर बरसेगी कृपा


Chanakya Niti: श्रेष्ठ लीडर की निशानी होती है ये चीजें, विरोधी भी बन जाता है मुरीद


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.