Mahabharat Katha: हिंदू धर्म में चार प्रकार के वेद (ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद और अथर्ववेद) हैं, जिसमें महाभारत को पांचवा देव माना जाता है. साथ ही यह सभी पहलुओं से जुड़ा उपयोगी और प्रासंगिक ग्रंथ है.


महाभारत कथा में कई रोचक और रहस्यमयी पात्र हैं. इसमें शिखंडी भी एक था. हालांकि शिखंडी के बारे में बहुम कम लोग ही जानते हैं. कहा जाता है कि शिखंडी ही भीष्म पितामह की मृत्यु का कारण बना था. लेकिन शिखंडी को लेकर जिस चीज की अधिक चर्चा होती है, वह है उसका ‘लिंग’ दरअसल शिखंडी का जन्म कन्या रूप में हुआ था, लेकिन फिर वह पुरुष बन जाता है. इतना ही नहीं उसका विवाह भी एक कन्या से ही होता है. लेकिन ऐसा कैसे हुआ, आइये जानते हैं पूरी कहानी.


कौन था शिखंडी


शिखंडी का जन्म पांचाल देश में राजा द्रुपद के यहां हुआ था. उसका जन्म एक कन्या के रूप में हुआ. लेकिन इसी समय आकाशवाणी हुई और राजा ने उसे एक बालक की तरह पाला. भले ही उसका लालन-पालन बालक की तरह हुआ हो लेकिन असल में वह एक लड़की ही थी. राजा ने उसका विवाह एक कन्या से करा दिया. लेकिन पत्नी को जब उसकी सच्चाई पता चली तो वह शिखंडी को छोड़कर चली गई.


शिखंडी के ससुर को जब उसकी सच्चाई पता चली तो उसने उसे मारने की धमकी दी. ससुराल वालों की धमकी और पत्नी के जाने के बाद शिखंडी ने आत्महत्या का कदम उठा लिया और जंगल की ओर चल पड़ा. लेकिन जैसी ही वह आत्महत्या करने वाला था तभी स्थूणाकर्ण नामक एक यक्ष ने प्रकट होकर शिखंडी को अपना पुरुषत्व उधार दे दिया और कहा कि, जब तुम्हारा काम पूरा हो जाए मुझे मेरा पुरुषत्व लौटा देना.


लेकिन यक्षराज को यह बात पसंद नहीं आई और उसने यक्ष को श्राप दे दिया कि, जब तक शिखंडी जीवित रहेगा, उसे उसका पुरुषत्व वापस नहीं मिलेगा. इधर पुरुषत्व पाकर शिखंडी बहुत खुश था और अपने नगर लौट आया. शिखंडी को पुरुष रूप में देख राजा द्रुपद और उसके ससुर राजा हिरण्यवर्मा बहुत खुश हुए.


शिखंडी के साथ युद्ध करने से भीष्म ने क्यों किया इंकार


महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र की भूमि में पूरे 18 दिनों तक चला था, जिसका हर दिन महत्वपूर्ण था. यह युद्ध कौरवों और पांडवों  के बीच हुआ. दुर्योधन से जब भीष्म पितामह से पांडवों के प्रमुख योद्धाओं की जानकारी ली तो भीष्म पितामह ने उन्हें विस्तारपूर्वक सबकुछ बताया. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि, वह इनमें से एक व्यक्ति के साथ युद्ध नहीं लड़ेंगे. तब दुर्योधन से उसका नाम पूछा. भीष्म ने कहा, उसका नाम है ‘शिखंडी’.


दुर्योधन ने भीष्म से शिखंडी के साथ युद्ध न लड़ने का कारण पूछा. भीष्म ने कहा कि, शिखंडी पूर्वजन्म में स्त्री था और इस जन्म में भी उसका जन्म कन्या के रूप में हुआ है. इसलिए मैं उसके साथ युद्ध नहीं लड़ूंगा, क्योंकि धर्म मुझे महिलाओं पर शस्त्र उठाने की अनुमति नहीं देता है.


पूर्व जन्म में राजकुमारी थी शिखंडी


शिखंडी पूर्वजन्म में एक राजकुमारी थी, जिसका नाम अंबा था. जब अंबा का स्वयंबर हो रहा था, तब भीष्म ने उसका अपहरण कर लिया था. क्योंकि भीष्म उसकी शादी अपने भाई विचित्रवीर्य से कराना चाहते थे. जब अंबा ने इसका विरोध किया तो भीष्म ने उसे छोड़ दिया. लेकिन अंबा भीष्म से बदला लेना चाहती थी. अंबा ने भीष्म से बदला लेने के लिए परशुराम की मदद ली. लेकिन परशुराम भी भीष्म को हरा नहीं पाए. तब अंबा ने भगवान शिव की तपस्या की और शिव ने उसे वरदान दिया कि, भीष्म से बदला लेना इस जन्म में तो संभव नहीं है, लेकिन अगले जन्म में तुम भीष्म की मृत्यु का कारण बनोगी. अगले जन्म में अंबा का ही जन्म शिखंडी के रूप में हुआ.  


शिखंडी कैसे बनी भीष्म की मृत्यु कारण


कहा जाता है कि भीष्म पितामह को इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था. फिर शिखंडी कैसे उसकी मृत्यु का कारण बनी,आइये जानते हैं. महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला था. युद्ध के दसवें दिन श्रीकृष्ण अर्जुन के साथ शिखंडी को लेकर भीष्म के समक्ष पहुंच गए.  शिखंडी को देखते ही भीष्म ने अपने शस्त्रों को नीचे रख दिया. उन्होंने कहा कि, वे स्त्री पर वार नहीं कर सकते. तब कृष्ण ने कहा कि, लेकिन शिखंडी का लालन-पालन तो पुरुष के रूप में हुआ है और उसके पास पुरुषत्व भी है.


कृष्ण के समझाने का बाद भी भीष्म ने शिखंडी पर वार नहीं किया. तब कृष्ण ने शिखंडी को भीष्म पर वार करने को कहा और उसके भीष्म के शरीर को धनुष-बाणों से छननी कर दिया. लेकिन इसके बाद भी भीष्म पितामह की मृत्यु नहीं हुई, क्योंकि उन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था. इस कारण कई महीनों तक भीष्म पितामह बाणों की शैया पर लेटे रहे और सूर्य उत्तरायण करने के बाद अपने प्राण त्याग दिए.


शिखंडी की मृत्यु कैसे हुई


कहा जाता है कि, महाभारत युद्ध की समाप्ति की बाद अश्वत्थामा ने पांडवों से शिविर पर आक्रमण कर दिया. शिविर में शिखंडी सोया था, उसी समय अश्वत्थामा ने उसका वध कर दिया.


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