Kojagari Purnima 2023: धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शरद पूर्णिमा पर हर साल कोजागर पूजा की जाती है, इसलिए इसे कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि दिवाली के अलावा साल में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है.


दिवाली की तरह कोजागरी पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण  करने आती है और रात्रि में जो लक्ष्मी उपासना करता है देवी उसके घर ठहर जाती है. कोजागरी पूजा 28 अक्टूबर 2023 को है. आइए जानते हैं इस दिन कैसे करें कोजागरी पूर्णिमा व्रत और मां लक्ष्मी की पूजा.


कोजागरी पूर्णिमा 2023 मुहूर्त (Kojagari Purnima 2023 Muhurat)


अश्विन पूर्णिमा तिथि शुरू - 28 अक्टूबर 2023,  प्रात: 04 बजकर 17


अश्विन पूर्णिमा तिथि समाप्त - 29 अक्टूबर 2023, प्रात: 01 बजकर 53



  • कोजागर पूजा समय - 28 अक्टूबर 2023, रात 11.39 - 29 अक्टूबर 2023, प्रात: 12.31

  • चंद्रोदय समय - शाम 05.20


कोजागरी पूर्णिमा व्रत कैसे करें (Kojagari Puja vidhi)



  • शरद पूर्णिमा के दिन अच्छी तरह घर की सफाई करें. मां लक्ष्मी का वास वहीं होता है जहां साफ-सफाई हो. इसके बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें

  • दिनभर निराहार व्रत रखें, कोजागरी पूर्णिमा देवी लक्ष्मी की पूजा रात्रि में की जाती है लेकिन इस बार चंद्र ग्रहण के कारण दोपहर 02.52 से सूतक लग जाएगा.

  • ऐसे में सूतक शुरू होने से पहले पूजा की तैयारी कर लें. पूजन सामग्री इक्ठ्ठा कर लें.

  • इस दिन देवी लक्ष्मी के भोग के लिए खीर बनाई जाती है लेकिन सूतक लगने से पहले गाय के दूध में तुलसी पत्ता या कुशा डाल दें. ताकि वह शुद्ध रहे.

  • ग्रहण की समाप्ति 29 अक्टूबर को देर रात 02.22 पर होगी. इसके बाद ही स्नान कर लक्ष्मी पूजा आरंभ करें.

  • मां लक्ष्मी की तस्वीर स्थापित करें. देवी को कुमकुम, अक्षत, सिंघाड़ा, पान, मखाने, गुलाब के पुष्प, 11 कमल गट्‌टे, सुपारी, अष्टगंध, चंदन, इलायची  अर्पित करें.

  • कहते है शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है इसलिए ग्रहण समाप्ति के बाद रात्रि में लक्ष्मी जी को खीर का भोग लगाएं फिर इसे खुले आसमान के नीचे रखें.

  • 11 घी के दीपक लगाकर ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः का 108 बार जाप करें.

  • कोजागरी पूजा में रात्रि जागरण का महत्व है, इसलिए रात में श्रीसूक्त का पाठ करें. मां लक्ष्मी की आरती करें और अगले दिन खीर का प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करें.


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