छठ पर्व, छठ या षष्‍ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाता है. छठ पूजा सूर्य, उषा, प्रकृति,जल, वायु, छठ मैया को समर्पित है ताकि उन्हें पृथ्वी पर जीवन की देवतायों को बहाल करने के लिए धन्यवाद और कुछ शुभकामनाएं देने का अनुरोध किया जाए.


प्रचलित विश्वास है कि छठ मैया सूर्यदेव की बहन हैं. कहा जा ता है कि जो लोग इस पर्व पर छठ माता के भाई सूर्य को जल चढ़ाते हैं, उनकी मनोकामनाएं छठ माता पूरी करती हैं.


छठ माता को बच्चों की रक्षा करने वाली देवी माना गया है. इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है.मार्कण्डेय पुराण में  इस बात का उल्लेख मिलता है कि प्रकृति ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया है. इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं. यह भी माना ये भी जाता है कि देवी दुर्गा का छठवां रूप कात्यायनी ही छठ मैया हैं. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को इन्हीं देवी की पूजा की जाती है.


सूर्य पूजन का महत्व
सूर्य एक ऐसे भगवान हैं जिन्हें हम स्वंय देख सकते हैं. सूर्य ऊर्जा का स्रोत है और इसकी किरणों से विटामिन डी जैसे तत्व शरीर को मिलते हैं. दूसरा, सूर्य मौसम चक्र को चलाने वाला ग्रह है. ज्योतिष के नजरिए से देखा जाए तो सूर्य आत्मा का ग्रह माना गया है. सूर्य पूजा आत्मविश्वास जगाने के लिए की जाती है.


पुराणों के नजरिए से देखें तो सूर्य को पंचदेवों में से एक माना गया है, ये पंच देव हैं ब्रह्मा, विष्णु, शिव, दुर्गा और सूर्य. किसी भी शुभ काम की शुरुआत में सूर्य की पूजा अनिवार्य रूप से की जाती है. शादी करते समय भी सूर्य की स्थिति खासतौर पर देखी जाती है. बिहार में मान्यता प्रचलित है कि पुराने समय में सीता, कुंती और द्रोपदी ने भी ये व्रत किया था.


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