छठ पर्व का आज दूसरा दिन है.  चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व के दूसरे दिन खरना का महत्व होता है. छठ पर्व में खरना के दिन व्रत किया जाता है और व्रती अपने कुल देवता और छठी माई की आराधना की जाती है. खरना कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर होता है.


खरना छठ पर्व के दूसरे दिन का अनुष्ठान है. इसे लोहांडा भी कहा जाता है.  खरना का अर्थ शुद्धिकरण होता है. खरना के दिन विशेष तरह का प्रसाद तैयार किया जाता है.


गन्ने का जूस या गुड़ के चावल अथवा गुड़ की खीर खरना के प्रसाद में तैयार की जाती है. यह प्रसाद छठी माई और कुल देवता को अर्पित किया जाता है और फिर प्रसाद को सभी लोगों में बांटा जाता है. इस प्रसाद को खाने के बाद व्रती को लगभग 36 घंटों का निर्जला उपवास करना होता है. व्रत का समापन 36 घंटों के बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होता है.  मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही घर में देवी षष्ठी (छठी मइया) का आगमन हो जाता है.


व्रत का नियम
व्रती द्वारा इस दिन शाम को स्नान किया जाता है.  विधि-विधान से प्रसाद तैयार किया जाता है जिसमें  मूली, केला भी शामिल किया जाता है.  प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर बनाया जाता है.  फिर सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद व्रती महिलाएं प्रसाद ग्रहण करती हैं.


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