जितनी अहम कार्तिक मास की अमावस्या को माना जाता है उतनी ही महत्वपूर्ण होती है कार्तिक मास की पूर्णिमा भी. इस दिन को अति विशेष व पुण्यदायी माना गया है. इस दिन गंगा स्नान का पुण्य मिला है तो वहीं इसी दिन देव दिवाली का पर्व भी मनाया जाता है.  इस दिन गुरु नानक देव जी की जयंती भी मनाई जाती है जिसे गुरु पर्व के नाम से जाना जाता है. 


कब है कार्तिक पूर्णिमा


कार्तिक पूर्णिमा इस बार 30 नवंबर के दिन है. पुराणों में भी इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है. पूर्णिमा तिथि का आगाज़ 29 नवंबर को हो जाएगा लेकिन स्नान व दान की पूर्णिमा 30 नवंबर को ही है. पूर्णिमा तिथि 29 नवंबर को रात 12 बजकर 47 मिनट से शुरु होगी और 30 नवंबर को रात 02 बजकर 59 मिनट तक रहेगी. 


गंगा स्नान व दान का है महत्व


कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान व दान का विशेष महत्व बताया गया है. कहते हैं इस दिन गंगा में डुबकी लगाई जाए को मोक्ष की प्राप्ति होती है और यही कारण है कि लाखों श्रद्धालु इस दिन हर की पैड़ी पर पहुंचते हैं. स्नान के साथ साथ दान का भी विशेष महत्व है. कहते हैं इस दिन ज़रुरतमंदों को दान अवश्य रूप से देना चाहिए. 


यह है पौराणिक कथा


एक कथा के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा जी ब्रह्म सरोवर पुष्कर में अवतरित हुए थे. इसीलिए इस दिन पुष्कर में स्नना को दिव्य माना गया है. यहां के ब्रह्मा जी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना इस दिन होती है.


कार्तिक पूर्णिमा के दिन होती है देव दिवाली


इस विशेष दिन देव दिवाली मनाने की भी परंपरा है. कहा जाता है कि वो कार्तिक पूर्णिमा का ही दिन था जब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था, इससे देवता प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिवजी को त्रिपुरारी नाम दे दिया. तब शिवजी के साथ सभी देवता काशी में आए थे और खुशियां मनाई थी. आज भी इसी संदर्भ में काशी में देव दिवाली धूमधाम से मनाई जाती है. और दीपदान किया जाता है.