Kanwar Yatra 2021: सावन का महीना भगवान शिव का बेहद प्रिय मास है. मान्यता है कि इस माह में महादेव की पूजा अर्चना करने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं. भगवान महादेव को प्रसन्न करने के लिए लोग कांवड़ यात्रा निकालते हैं . कांवड़ में वे गंगाजल लेकर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैं. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव भक्तों की सारी मनोकामना पूरी करते हैं. 25 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने जा रहा है. परंतु इस बार कांवड़ की यात्रा पर संशय है.


उत्तराखंड और ओडिशा सरकार ने अपने यहां कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया है. परन्तु उत्तर प्रदेश ने कुछ शर्तों के तहत कांवड़ यात्रा की मंजूरी दी है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेस्श सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया है. ऐसे मने प्रतीत होता है कि इस बार कांवड़ यात्रा स्थगित रहेगी. ऐसी दशा में शिव भक्तों को सरकार की गाइडलाइन्स का अनुसरण करते हुए ही भगवान शिव की पूजा अर्चना करें, ताकि उनके खुद के साथ-साथ अन्य लोगों का जीवन सुरक्षित रहे.



विदित है कि हिंदू धर्म में विशेष तौर पर उत्तर भारत में कावंड़ यात्रा सैकड़ों वर्षों से चल रही है. कांवड़ यात्रा की शुरूआत और महात्म के बारे में कई पौराणिक कथाएं एवं किंवदंतियां प्रसिद्ध हैं. आइए जानें कांवड़ यात्रा के नियम और महत्व के बारे में.


कांवड़ यात्रा के नियम और महत्व


मान्यता है कि सबसे पहले कांवड़ यात्रा परशुराम ने शुरू की थी पुरामहादेव को प्रसन्न करने के लिए गढ़मुक्तेश्वर से गंगा जल ले जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया था. खड़ी कांवड़ यात्रा में शिव भक्त अपने कंधे पर कांवड़ लेकर पैदल चलते हैं. इस कांवड़ को न तो जमीन पर रखते हैं और नहीं कहीं इसे टांगते हैं. रात के समय या विश्राम के समय इस कांवड़ को या तो किसी दुसरे व्यक्ति को पकड़ा देते हैं या फिर किसी स्टैंड पर रखते हैं.


खड़ी कांवड़ यात्रा के अलावा लोग झांकी वाली कांवड़ यात्रा या डाक कांवड़ यात्रा भी निकालते हैं.