Jyeshtha Month: ज्येष्ठ का महीना हिन्दू पंचांग के अंर्तगत तीसरा माह या मास माना गया है. इस माह को जेठ का महीना भी कहा जाता है. इस महीने सूर्य देव अपने पूरी गति में आ जाते हैं. जिस कारण गर्मी बढ़ जाती है. मालमास या खरमास के बाद सूर्य की गति तेज होने लगती है और ज्येष्ठ माह के आरंभ होते ही सूर्य अपने पूर्ण स्वरूप में आ जाते हैं. जिस कारण जल का संकट खड़ा हो जाता है. इसलिए ज्येष्ठ माह में जल का महत्त्व बढ जाता है. लोगों को जल का महत्व बताने के लिए इस माह में दो विशेष पर्व आते हैं. जिन्हें गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी कहा जाता है.


ज्येष्ठ माह में पानी का मोल पहचानें
ज्येष्ठ माह  गर्मी का महीना है. इस माह में वाष्पीकरण की क्रिया तेजी से होती है और नदियां और तालाब सूखने लगते हैं. पानी सभी के अतिआवश्यक है. देश के हिस्सों में गर्मी के शुरू होते ही जल का संकट खड़ा हो जाता है. जल को बचाने के लिए सभी का प्रयास करना चाहिए. क्योकि जल है तो कल है. यानि जल ही जीवन है.


31 मई- गंगा दशहरा
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के दसवें दिन गंगा दशहरा का पर्व होता है इसके बाद निर्जला एकादशी का व्रत आता है. मान्यता है कि राजा भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा इस दिन पृथ्वी पर उतरीं थी.


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गंगा दशहरा तिथि, शुभ मुहूर्त
दशमी तिथि आरंभ: 31 मई 2020 को 05:36 बजे शाम
दशमी तिथि समापन: 1 जून 2020 को 02:57 बजे शाम


2 जून- निर्जला एकादशी
ज्येष्ठ मास में शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है. यह एक महत्पूर्ण एकादशी है. इस व्रत को उत्तम व्रतों में से एक माना जाता है. इस एकादशी व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है. यह एक कठिन व्रत है. इसलिए इस एकादशी को निर्जला कहते है. निर्जला एकादशी का उपवास किसी भी प्रकार का भोजन भी नहीं किया जाता है.

निर्जला एकादशी मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ: 1 जून 2020 को  14 बजक 56 मिनट
एकादशी तिथि समापन: 2 जून 2020 को 12 बजकर 04 मिनट


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