7 मई को पूर्णिमा है. ज्योतिष शास्त्र में पूर्णिमा की तिथि को विशेष महत्व दिया गया है. वहीं भारतीय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा का दिन बेहद पवित्र दिन माना गया है. इसी दिन सूपर मून दिखाई देगा. मई माह में दिखाई देने वाले सुपर मून को फ्लॉवर मून कहा जाता है.


सूपर मून क्या है
पूर्णिमा की तिथि के दिन चंद्रमा हमारे ग्रह यानि पृथ्वी के बहुत नजदीक आ जाता है. जिस कारण चंद्रमा का आकार विशाल और चमकीला दिखाई देता है. चंद्रमा के कारण समुद्र में ऊंची ऊंची लहरें उठती हैं. समुद्र में आने वाला ज्वारा भाटा भी चंद्रमा से ही प्रभावित होता है. मार्च में भी दिखाई दिया था सूपर मून जिसे वॉर्म मून कहा गया था. अप्रैल में भी सूपर मून दिखाई दिया था. जिसे पिंक मून कहा गया था.


7 मई का सूपर मून
इस दिन सूपर मून शाम 4 बजकर 15 मिनट पर दिखाई देगा. माना जा रहा है यह साल का आखिरी सूपर मून होने के कारण सबसे आकर्षक होगा. इस दिन चंद्रमा बेहद चमकदार नजर आएगा. इसकी छठा देखते ही बनेगी. इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा क्योंकि इस समय भारत में दोपहर होगी. ऑन लाइन इस खागोलीय घटना को इंटरनेट के माध्यम से देखा जा सकेगा. दुनियाभर के लोग इस घटना को देखने का इंतजार कर रहे हैं.


7 मई का सूपर मून है विशेष
वॉर्म सुपर मून और पिंक सुपर मून के मुकाबले 7 मई को दिखाई देने वाला सुपर मून विशेष माना जा रहा है. एक सुपरमून ऑर्बिट पृथ्वी के सबसे करीब होता है. इस दिन चंद्रमा विशाल और चमकते हुए गोले की तरह दिखाई देगा. इस दिन सुपरमून पृथ्वी से 3,61,184 किलोमीटर दूर होगा. आमतौर पर पृथ्वी और चंद्रमा के बीच औसत दूरी 384,400 किलोमीटर की है.


फ्लॉवर मून ही क्यों
मई माह में दिखाई देने वाले सुपर मून को फ्लॉवर मून कहा जाता है. वहीं मार्च महीने के सुपर मून को वॉर्म मून अप्रैल के सुपरमून को पिंक मून कहा गया. इसी तरह मई के सुपरमून को फ्लॉवर मून कहा जा रहा है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पूर्ण चंद्र का नाम अमेरिकी मौसमों, फूलों और क्षेत्रों के नाम पर रखा गया है.


इस जनजाति की देन है फ्लॉवर मून
मई में दिखाई देने वाले सुपर मून का नाम उत्तरी अमेरिका में एलगोनक्विन जनजाति की देन है. इस जनजाति ने ही मई माह की पूर्णिमा को फ्लॉवर मून नाम दिया है. नासा के अनुसार एक वर्ष में तीन या चार सुपरमून हो सकते हैं.


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