Holi 2023 Special, Shah Niyaz Ahmad Barelvi Sufism Holi: होरी होए रही है अहमद जियो के द्वार... ये पंक्ति सूफी शाह नियाज अहमद बरेलवी के लिखे हुए हैं. होली के पर्व को धार्मिक दृष्टिकोण से विष्णु भक्त प्रह्लाद, राजा हिरण्यकश्यप और होलिका की पौराणिक कथा से जोड़ा जाता है, जिसे असत्य पर सत्य की जीत के तौर पर मनाया जाता है.


लेकिन होली का पर्व किसी विशेष जाति या समुदाय तक ही केंद्रित नहीं है, बल्कि होली का रंग हर उस व्यक्ति पर चढ़ जाता है जो इसका मुरीद हो जाता है. ठीक इसी तरह से सूफियों और संतों पर भी होली का रंग ऐसा चढ़ा कि सूफी कवियों ने होली को ईद-ए-गुलाबी नाम दे दिया. फिर चाहे वह हजरत अमीर खुसरो हों, बहादुर शाह जफर, बुल्ले-शाह या सूफी शाह नियाज.



होली का सतरंगी रंग ठीक उसी तरह है जैसे भारतीय संगीत के सात सुर. होली के पारंपरिक रंगों में सूफी-संतों और मुसलमान कवियों का भी रंग खूब चढ़ा. जब शाह नियाज ने सूफी अंदाज में होली पर काव्य लिखे, तब उनका तानाबाना भी हिंदुस्तानी संस्कृति के धागे में बुना गया. सूफी शाह नियाज ने तो अपनी कलाम से होली में हजरत अली और उनके बेटे हसन और हुसैन का भी जिक्र किया है.


शाह नियाज अहमद बरेलवी ने अपने हिंदवी कलाम से होली पर कई गीत और कविताएं लिखी हैं. सुफियाना रंग में रंगी शाह नियाज की लेखनी आज भी तसव्वुफ (रहस्यवाद) के गहरे रंग से सरोबार कर देती है. सूफी शाह नियाज बरेलवी लिखते हैं..



  1. होरी होए रही है अहमद जियो के द्वार
    हजरत अली का रंग बना है हसन हुसैन खिलार
    ऐसो होरी की धूम मची है चहुं ओर पड़ी है पुकार
    ऐसो अनोखो चतुर खिलाडी रंग दीन्हो संसार
    नियाज पियारा भर भर छिड़के एक ही रंग सहस पिचकार

  2. कैसो रचो री रंग होरी अजमेर ख़्वाजा
    नर-नारी की पाक चीर या पेम की रंग छकोरी
    राणा राव और शैख मशाइख रल मिल चांचर जोरी
    जामीन हैं महबूब-ए-इलाही गोपन मान किशोरी
    या रसिया की निर्मल मूरत जोति रूप बनो री
    ऐसे रंगीले नबी से लागी 'नियाज' की मन की रोरी

  3. पिया मो से तुम कैसे कीनी मन हर के फिर खबर लीनी
    तुम बिन दिन भयो मास बराबर रैन भई मो को बरसी नी
    'नियाज' तिहारे काज गंवाइ घर की लाज कुटुम तज दीनी
    कोई कहे मो को दुखियारी कोई कहे मत की हीनी

  4. मैं तो बौरी भई सुन री सखियां बिरहा कीनो जोर
    तारी मोहे अंगारे लागैं धुआं-धार भय भोर
    देखूं मैं ठारे दृष्टि लगाए चिश्त के चंदा की ओर
    गंज शकर के नंद-चंद पर भयो है 'नियाज' चकोर


ये भी पढ़ें: Mathura Holi 2023: आज बिरज में होली रे रसिया...आखिर क्यों विश्वभर में प्रसिद्ध है कान्हा की नगरी मथुरा की होली





Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.