हथेली की अंगुलियों के निचले हिस्से में दो सीधी रेखाएं होती हैं. ऊपर वाली को हृदय रेखा कहते हैं वहीं, नीचे वाली को मस्तिष्क रेखा कहते हैं. मस्तिष्क रेखा व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता और विषयगत अध्ययन की योग्यता दर्शाती है. लेकिन व्यक्ति किस विषय में रुचि लेगा. उसका एटीट्यूड कैसा होगा. इसके बारे में हृदय रेखा से पता चलता है.


जिस व्यक्ति के हाथ में सम्पूर्ण हृदय रेखा होती है. वे व्यक्ति अच्छे प्रेमी और संतोषी होते हैं. बड़प्पन से भरे रहते हैं. रिश्तों को सम्मान देते हैं. हृदय रेखा गुरु पर्वत तक जाती है तो व्यक्ति आदर्शवादी होते हैं. नियमों के पालन में भरोसा रखते हैं. तर्कशील होते हैं. प्रबंधन और वाणिज्यिक विषयों में रुचि लेते हैं. आर्थिक समझ होती है.


ऐसे लोगों के जीवन में स्वविकास मूल लक्ष्य होता है


शनि पर्वत के नीचे तक रह जाने वाली हृदय रेखा वाला व्यक्ति स्वयं के प्रति अत्यंत सचेत रहता है. निजी लाभ पर फोकस रखता है. ऐसे लोगों के जीवन में स्वविकास मूल लक्ष्य होता है. स्वार्थी होते हैं.


मन के अनुरूप व्यवहार करने वाले होते हैं


जिन हाथों में हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा मिलकर एक हो जाते हैं. ऐसे लोग दिल-दिमाग से भी एक होते हैं. मन के अनुरूप व्यवहार करने वाले होते हैं. ऐसे लोग भावावेश में आकर कुछ भी कर सकते हैं. धुन के पक्के होते हैं.