Hariyali Teej 2023: हिंदू धर्म में तीज-त्योहारों का काफी महत्व होता है. श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है. इसे श्रावणी तीज भी कहा जाता है. हरियाली तीज इस बार शनिवार 19 अगस्त 2023 को पड़ रही है. पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं इस दिन हरे रंग की साड़ी, हरी चूडिय़ां, लहरिया पहनकर शिव-गौरी की पूजा-अर्चना करेंगी. लेकिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र पड़ने से हरियाली तीज और भी खास होगी.


हरियाली तीज के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र सुबह से लेकर देर रात 1:47 बजे तक रहने वाला है. ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हरियाली तीज 19 अगस्त 2023 को मनाई जाएगी. हरियाली तीज का व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस पर्व को नाग पंचमी से दो तिथि पूर्व मनाया जाता है. हरियाली तीज के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और माता पार्वती के साथ गणेश जी और भगवान शिव की पूजा करती हैं. सनातन धर्म में हर त्योहार का अपना एक विशेष महत्व हैं. इन्हीं त्योहारों में से एक है हरियाली तीज है, जो देशभर में मनाई जाती है.



हरियाली तीज को श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता हैं. यह सावन मास का सबसे महत्वपूर्ण पर्व में एक है, जो सौंदर्य और प्रेम का पर्व है. महिलाएं इस दिन का पूरे वर्ष इंतजार करती है. हरियाली तीज का पर्व श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. यह पर्व प्रकृति से जुड़ने का पर्व है. हरियाली तीज का जब पर्व आता है तो हर तरफ हरियाली छा जाती हैं. पेड़-पौधे उजले उजले नजर आने लगते हैं.


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 18 अगस्त शुक्रवार रात 8:01 मिनट से शुरू हो रही है और 19 अगस्त शनिवार रात 10:19 मिनट पर समाप्त होगी, जिससे हरियाली तीज 19 अगस्त को मनाई जाएगी. हरियाली तीज का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, यह वह दिन है जब देवी ने शिव की तपस्या में 107 जन्म बिताने के बाद पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. इस व्रत को रखने से स्त्री के पति को लंबी उम्र का वरदान मिलता है. ये व्रत महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी मदद करता है. साथ ही व्रत श्रद्धालु को मानसिक विकारों से निजात दिलाता है.


हरियाली तीज 2023 शुभ योग (Hariyali Teej 2023 Shubh Yog)


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, हरियाली तीज पर 3 शुभ योग सिद्ध योग, बुधादित्य योग और त्रिग्रही योग का संयोग बन रहा है. इस दिन कन्या राशि में चंद्रमा, मंगल और शुक्र की युति से त्रिग्रही योग का निर्माण होगा जो व्रती को धन और करियर में लाभ पहुंचाएगा. वहीं सिंह राशि में सूर्य और बुध की युति से बुधादित्य योग बनेगा. इस दिन बनने वाला सिद्ध योग से व्रती की पूजा, मंत्र आदि सिद्ध होंगे.


हरियाली तीज शुभ मुहूर्त  (Hariyali Teej 2023 Shubh Muhurat)


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हरियाली तीज की पूजा के लिए 3 शुभ मुहूर्त के योग बन रहे हैं. इस दिन आप सुबह 07:30 मिनट से 09:08 मिनट तक पूजा कर सकते हैं. इसके बाद आप दोपहर 12:25 मिनट से शाम 05:19 मिनट कर शुभ मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं.


सुहागन स्त्रियां रखती हैं व्रत


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, हरियाली तीज पर सुहागिन स्त्रियां पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. महिलाएं इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करती हैं. इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह शृंगार करती हैं, हाथों में मेहंदी लगाती हैं और सावन मास के गीत गाकर हरियाली तीज को एक उत्सव के तौर पर मनाती हैं.


हरियाली तीज 2023 पूजा सामग्री (Hariyali Teej 2023 Puja Samagri)


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, हरियाली तीज का व्रत भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा के लिए रखा जाता है. हरियाली तीज के दिन मां पार्वती और भगवान शिव की तस्वीर चौकी पर स्थापित करनी चाहिए. पूजा के लिए चौकी पर पीला कपड़ा, केले के पत्ते और कच्चा सूत भी रखें। इस दिन व्रत के लिए बेलपत्र, धतूरा, शमी के पत्ते, भांग, नारियल, धतूरा, एक कलश, पांच सुपारी, साफ चावल, दूर्वा घास, गाय का दूध, देशी घी, श्रीफल, चंदन, दही, मिश्री, शहद और पंचामृत इन सभी सामग्री को अवश्य एकत्र कर लें. इसके साथ ही मां पार्वती का महावर, कुमकुम, मेहंदी, इत्र, चुनरी, सिंदूर, बिंदी, आदि के साथ सोलह श्रृंगार करें.


हरियाली तीज पूजन विधि (Hariyali Teej 2023 Puja Vidhi) 


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि तीज के दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें. साफ सुथरे कपड़े पहने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. इस दिन बालू के भगवान शंकर व माता पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है और एक चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सहेली की प्रतिमा बनाई जाती है. माता को श्रृंगार का समाना अर्पित करें. इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती का आवाह्न करें. माता-पार्वती, शिव जी और उनके साथ गणेश जी की पूजा करें. शिव जी को वस्त्र अर्पित करें और हरियाली तीज की कथा सुनें. ‘उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये’ मंत्र का जाप भी करें. ध्यान रहें कि प्रतिमा बनाते समय भगवान का स्मरण करते रहें और पूजा करते रहें. पूजा के बाद महिलाएं रातभर भजन-कीर्तन करती हैं और हर प्रहर को इनकी पूजा करते हुए बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण करने चाहिए और आरती करनी चाहिए.


ऐसे मिला था देवी पार्वती को तप का फल 


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, भोलेनाथ कहते हैं कि हे पार्वती! इस शुक्ल पक्ष की तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह संभव हो सका. इस व्रत का महत्व यह है कि इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मैं मन वांछित फल देता हूं. भोलेनाथ ने पार्वती जी से कहा कि, जो भी स्त्री इस व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा से करेगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग की प्राप्ति होगी. मान्यता है कि इस कथा को जो भी स्त्री पढ़ती या सुनती है वह अखंड सौभाग्यवती होती है.


हरियाली तीज व्रत कथा (Hariyali Teej 2023 Vrat Katha)


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, हरियाली तीज उत्सव को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. इस कड़ी तपस्या से माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया. कथा के अनुसार, माता गौरी ने पार्वती के रूप में हिमालय के घर पुनर्जन्म लिया था. माता पार्वती बचपन से ही शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं. इसके लिए उन्होंने कठोर तप किया. एक दिन नारद जी पहुंचे और हिमालय से कहा कि पार्वती के तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं. यह सुन हिमालय बहुत प्रसन्न हुए. दूसरी ओर नारद मुनि विष्णुजी के पास पहुंच गये और कहा कि हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का विवाह आपसे कराने का निश्चय किया है. इस पर विष्णुजी ने भी सहमति दे दी.


नारद इसके बाद माता पार्वती के पास पहुंच गए और बताया कि पिता हिमालय ने उनका विवाह विष्णु से तय कर दिया है. यह सुन पार्वती बहुत निराश हुईं और पिता से नजरें बचाकर सखियों के साथ एक एकांत स्थान पर चली गईं. घने और सुनसान जंगल में पहुंचकर माता पार्वती ने एक बार फिर तप शुरू किया. उन्होंने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और उपवास करते हुए पूजन शुरू किया. भगवान शिव इस तप से प्रसन्न हुए और मनोकामना पूरी करने का वचन दिया. इस बीच माता पार्वती के पिता पर्वतराज हिमालय भी वहां पहुंच गये. वह सत्य बात जानकर माता पार्वती की शादी भगवान शिव से कराने के लिए राजी हो गये. शिव इस कथा में बताते हैं कि, बाद में विधि-विधान के साथ उनका पार्वती के साथ विवाह हुआ. शिव कहते हैं, ‘हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका. इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मनवांछित फल देता हूं.


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