Gayatri Jayanti 2023: हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को वेदों की जननी माता गायत्री का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इसे गायत्री जयंती कहते हैं. माता गायत्री को परब्रह्मस्वरूपिणी, वेद माता और जगत माता भी कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस पृथ्वी पर प्रत्येक जीव के भीतर मां गायत्री प्राण-शक्ति के रूप में विद्यमान है, यही कारण है माता गायत्री को सभी शक्तियों का आधार माना गया है.


मान्यता है कि गायत्री जयंती के दिन ज्ञान की देवी गायत्री से की पूजा करने से वेदों का अध्यन करने के समान पुण्य मिलता है, परिवार में एकता बढ़ती है सुख का वास होता है, ज्ञान में वृद्धि होती है. आइए जानते हैं इस साल गायत्री जयंती की डेट, मुहूर्त और महत्व.



गायत्री जयंती 2023 डेट (Gayatri Jayanti 2023 Date)


इस साल गायत्री जयंती 31 मई 2023 को है, इस दिन निर्जला एकादशी का व्रत भी रखा जाएगा. छात्रों के लिए देवी गायत्री की पूजा अचूक मानी गई है. मान्यता है इस दिन मां गायत्री के मंत्र का यथाशक्ति जाप करने से बुद्धि में वृद्धि और तरक्की की राह आसान होती है.


गायत्री जयंती 2023 मुहूर्त (Gayatri Jayanti 2023 Muhurat)


पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 मई 2023 को दोपहर 01 बजकर 07 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 31 मई 2023 को  दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर इसका समापन होगा.


गायत्री जयंती महत्व (Gayatri Jayanti Significance)


‘भासते सततं लोके गायत्री त्रिगुणात्मिका॥’ गायत्री संहिता के अनुसार गायत्री माता सरस्वती, लक्ष्मी एवं काली का प्रतिनिधित्व करती हैं. इन तीनों शक्तियों से ही इस परम ज्ञान यानी वेद की उत्पत्ति होने के कारण गायत्री को वेद माता कहा गया है. गायत्री जयंती का दिन शिक्षा प्राप्त करने वाले और आध्यात्मिक अध्यापन करने वालों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन गायत्री मंत्र के जाप का करने से बौद्धिक विकास होता है. मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है, पढ़ाई में एकाग्रता के लिए गायत्री मंत्र सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.


कैसे हुई थी गायत्री मां की उत्पत्ति ? (Mata Gayatri Birth Story)


पुराणों के अनुसार सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मा जी ने मां गायत्री का आवाह्न किया तब उन्होंने अपने चारों मुख से गायत्री मंत्र की व्याख्या चार वेदों के रूप में की थी. इससे प्रसन्न होकर गायत्री माता अवतरित हुईं. इसके बाद मां गायत्री को वेदमाता कहा गया और गायत्री मंत्र को चार वेदों का सार बताया गया. पहले गायत्री मंत्र की महिमा सिर्फ देवी देवताओं तक सीमित थी लेकिन महर्षि विश्वामित्र ने कठोर तपस्या करके इस मंत्र को आम जन तक पहुंचाया.


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