Diwali 2021: माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थीं, उनके आगमन के समय सभी देवता हाथ जोड़कर आराधना कर रहे थे. खुद भगवान विष्णु भी प्रार्थना कर रहे थे. इस तिथि यानी कार्तिक अमावस्या के दिन महालक्ष्मी विशेष पूजा होती है. इस दिन मकान, दुकान और व्यापारिक प्रतिष्ठान में महालक्ष्मी पूजन करनी चाहिए. इसके अलावा देहली विनायक, मांकाली, सरस्वती और कुबेर की भी पूजा जरूर करनी चाहिए. मगर लक्ष्मी पूजा करते हुए मां की मूर्ति स्थापना के विधान का पूरा ध्यान रखना चाहिए.


1 - पुराणों के अनुसार देवी लक्ष्मी चंचल होती हैं, इसलिए कभी भी उनकी खड़ी अवस्था वाली मूर्ति नहीं रखनी चाहिए. ऐसा करने से वह उस जगह ज्यादा देर तक नहीं टिकती हैं. इसलिए घर में हमेशा माता लक्ष्मी की बैठी हुई प्रतिमा रखनी चाहिए.
2 - माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू होता है और ये भी चंचल स्वभाव वाला होता है, ऐसे में लक्ष्मी मूर्ति कभी उल्लू पर बैठी अवस्था में नहीं रखनी चाहिए.
3 - अधिकतर घरों में माता लक्ष्मी मूर्ति गणेशजी के साथ रखी दिखती हैं, लेकिन इस तरह रखना गलत है. मां लक्ष्मी विष्णुजी की पत्नी हैं, इसलिए माता लक्ष्मी की मूर्ति के साथ विष्णुजी को रखना चाहिए.
4 - गणेशजी और लक्ष्मीजी को सिर्फ दीपावली के दिन एक साथ रखना चाहिए. इस दिन घर पर सुख-समृद्धि के लिए लक्ष्मी-गणेश की साथ पूजा करनी चाहिए.
5 - लक्ष्मी मूर्ति कभी दीवार से नहीं सटाकर रखनी चाहिए. वास्तु में इसे दोष माना जाता है। मूर्ति और दीवार के बीच दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
6 - वास्तु अनुसार, पूजा घर और उनमें रखी देवी-देवताओं की मूर्ति को सही दिशा में रखना जरूरी है। लक्ष्मी मूर्ति हमेशा उत्तर-दिशा में रखनी चाहिए.
7 - कई लोग पूजा घर में देवी लक्ष्मी की एक से अधिक मूर्तियां और तस्वीरें सजाकर रखते हैं, जिसे शास्त्रों में वर्जित माना गया है।


लक्ष्मीजी के दत्तक पुत्र हैं गणेश
पार्वतीजी ने पुत्र गणेश को लक्ष्मीजी को गोद में दे दिया था और तभी से भगवान गणेश माता लक्ष्मी के दत्तक-पुत्र माने जाने लगे. लक्ष्मी को पाकर देवता एक बार फिर से बलशाली हो गए.


इन्हें पढ़ें


Kartik Month 2021: कार्तिक मास में इन कार्यों को करने से भाग्य में होती है वृद्धि, जानें इस मास के प्रमुख पर्व


Safalta Ki Kunji: इन आठ नियमों में छिपा है हर तरह की कामयाबी का रहस्य