Dev Diwali 2021: आज देव दीपावली के दिन को त्रिपुरारि पूर्णिमा या त्रिपुरोत्सव भी कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने देवताओं की प्रार्थना सुनकर त्रिपुरासुर का वध किया था, जिसकी खुशी में देवताओं ने दीप जलाकर उत्सव मनाया था. तब से इस उत्सव को देव दीपावली या देव दिवाली भी कहा जाता है. यह पर्व दिवाली के 14 दिन बाद मनाया जाता है. इस दिन स्नान, दान और ध्यान का बहुत महत्व है. इस दिन को उत्तर प्रदेश में बड़े उल्लास से मनाया जाता है. गंगा नदी और काशी के विभिन्न तटों पर मिट्टी के अनगिनत दीपों को जला कर प्रवाहित किया जाता है. 


संवरती है सेहत, बढ़ती है आयु
शास्त्रों के मुताबिक इस दिन देवताओं का पृथ्वी पर आगमन होता है और स्वागत में धरती पर दीप जलाए जाते हैं. शाम को शिव मंदिर में भी दीए जलाकर प्रार्थना की जाती है. चौराहे, पीपल, तुलसी पेड़ के नीचे भी दीये जलाने से भाग्य में बढ़ोतरी होती है. देव दिवाली के दिन नदी, तालाब या घाटों पर देवताओं के लिए दीपदान करने से व्यक्ति को ज्ञान-धन मिलता है. स्वास्थ्य अच्छा रहता है और आयु भी बढ़ती है. चूंकि कार्तिक मास को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्व प्रमाणित किया है, लिहाजा इस महीने में उपासना, स्नान, दान, यज्ञ आदि करने से हमेशा शुभ लाभ होता है.


देव दिवाली शुभ मुहूर्त 
पूर्णिमा तिथि आरंभ 18 नवंबर, गुरुवार दोपहर 12 बजे से 
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 19 नवंबर, शुक्रवार दोपहर 02 बजकर 26 मिनट पर


पूजा विधि
किसी भी शिव मंदिर में विधिवत षोडशोपचार पूजन करें. गौघृत दीप जलाएं.  चंदन धूप कर अबीर चढ़ाएं. खीर-पूड़ी और गुलाब के फूल चढ़ाएं. चंदन से शिवलिंग पर त्रिपुंड बनाएं और बर्फी भोग लगाएं. इसके बाद 'ऊं देवदेवाय नम' मंत्र का जाप करें.


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