Chhath Puja 2021: परिवार की सुख शांति और समृद्धि के लिए यूपी और बिहार समेत देश के करोड़ों लोग महापर्व छठ मनाते हैं, मान्यता है कि सूर्यदेव की बहन मां छठी की उपासना करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. इनकी पूजा करीब चार दिन तक चलती है, जिसमें नहाय-खाय, खरना डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ 36 घंटों का निर्जला व्रत भी होता है. मान्यता है कि महापर्व के दूसरे दिन खरना से माता छठी व्रत वाले घर में प्रवेश कर व्रत पूजा के अंत तक निवास करती हैं, इसलिए इस दौरान कोई भी गलत काम नहीं करना चाहिए. साथ ही साफ-सफाई और घर की पवित्रता को कोई हानि नहीं पहुंचाएं, अन्यथा मां रुष्ट भी हो सकती हैं. जानते हैं खरना से अंतिम अर्घ्य तक की सम्पूर्ण विधि और अनुष्ठान.


आज शाम लकड़ी के चूल्हे पर बनेगी गुड़ की खीर
छठ पूजा के दूसरे दिन खरना की पूजा में महिलाएं शाम को लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ का खीर बनाकर प्रसाद के तौर पर खाती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार खरना पूजा के साथ ही छठी मइया घर में प्रवेश कर जाती हैं और महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है. 


डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर रात भी उपवास
कार्तिक शुक्ल षष्ठी यानि छठ पूजा के तीसरे दिन व्रती महिलाएं निर्जला उपवास रखते हुए पूजा का प्रसाद बनाती हैं. शाम को नए कपड़े पहनकर परिवार के साथ नदी या तालाब के अंदर पानी में खड़े होकर डूबते सूरज को अर्घ्य देती हैं. तीसरे दिन का निर्जला उपवास इस रात भी जारी रहता है.


उगते सूर्य को  अर्घ्य देकर व्रत का समापन
छठ पूजा के चौथे दिन पानी में खड़े होकर उगते यानी उदयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसे उषा अर्घ्य या पारण दिवस भी कहते हैं. अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं सात या ग्यारह बार परिक्रमा करती हैं. इसके बाद एक दूसरे को प्रसाद देकर व्रत खोला जाता है. 36 घंटे का व्रत अर्घ्य देकर ही तोड़ा जाता है. व्रत की समाप्ति सुबह अर्घ्य के बाद संपन्न मानी जाती है.

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