Chhath Puja 2021 Kharna: आस्था का महापर्व छठ (Chhath Puja) का आरंभ हो गया है. इस त्योहार की तैयारी दिवाली के बाद से ही शुरू हो जाती है. वैसे तो यह त्योहार मुख्य तौर पर बिहार (Bihar), झारखंड (Jharkhand) और पूर्वी उत्तर (Eastern Uttar Pradesh) प्रदेश में मनाया जाता है. छठ में प्रकृति की पूजा की जाती है और व्रती उगते और डूबते डुए सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी आराधना करती हैं. यह त्योहार दिवाली के बाद मनाया जाता है. छठ महापर्व का आज दूसरा दिन है. इस दिन को खरना या लोहंडा के नाम से जाना जाता है. खरना के अगले दिन षष्ठी तिथि है जिस दिन भगवान सूर्य देव को डूबते हुए अर्घ्य दिया जाएगा. तो चलिए जानते हैं खरना पूजन के महत्व, पूजा विधि का शुभ समय क्या है. खरना पूजन के दिन छठ व्रती दिन भर निर्जला उपवास रखेंगी और शाम में सूर्यास्त होने के बाद गुड़ के खीर 'रसियाव' और रोटी का सूर्य देव को अर्पण करेगी. बता दें कि आज सूर्यास्त का समय शाम 5:30 बजे है.


खरना पूजन का ये है खास महत्व
खरना पूजन का बेहद खास महत्व माना जाता है. यह त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन को शुद्धिकरण प्रक्रिया के रूप में जाना जाता है. इस दिन व्रती स्नान करके साफ कपड़े पहनती हैं और दिनभर निर्जला उपवास रखते हैं. शाम को लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ की खीर 'रसियाव' और रोटी बनाई जाती हैं. इसके बाद छठी मईया को यह प्रसाद अर्पण करने के बाद व्रती इसे ग्रहण करते हैं. मान्यता है कि इसी दिन छठी मईया का आज से आगमन हो जाता है.


खरना पूजन की विधि-
खरना पूजन के दिन छठ व्रती सुबह-सुबह उठकर स्नान करते हैं. इसके बाद साफ सुधरे कपड़े पहनती है. शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ी की आग में साठी के चावल, गुड़ और दूध की खीर बनाई जाती है. इसके बाद छठी मईया को इसे अर्पण किया जाता है. इसके बाद छठ व्रती इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं. इसके बाद परिवार के बाकी सदस्य भी इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं. इसके बाद व्रती का 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ हो जाएगा. इस उपवास का समापन छठ पूजा के चौथे दिन भोर अर्घ्य के साथ खत्म होगा. 


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