Chandra Grahan: चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन होता है, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है और जब तीनों वस्तुएं संरेखित होती हैं. इस साल आखिरी चंद्र ग्रहण 19 नवंबर शुक्रवार सुबह 11 बजकर 34 मिनट से शुरू हो जाएगा. जो शाम 5 बजकर 33 मिनट तक रहेगा. आंशिक चरण का अंत अरुणाचल और असम के उत्तर-पूर्वी हिस्सों से चंद्रोदय के ठीक बाद बहुत कम समय के लिए दिखेगा. अमेरिका, आस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया और उत्तरी यूरोप में चंद्र ग्रहण दिखाई देगा. 


ऐसे दिनचर्या बदलकर बेअसर करें ग्रहण का प्रभाव 
चंद्र ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचने के लिए ग्रहण काल में स्पर्श वस्त्र आदि की शुद्धि के लिए धो देना चाहिए और खुद भी वस्त्र समेत स्नान करना चाहिए. सूर्य या चंद्र ग्रहण पर शुद्ध बिम्ब देखकर ही भोजन करना चाहिए. 


1. ग्रहण के दौरान मंत्रोंच्चारण कर सकते हैं. ग्रहण के दौरान खाने पर भी पाबंदी है. ग्रहण खत्म होने पर स्नान-दान की परंपरा है.
2. चंद्र ग्रहण के समय भोजन में तुलसी पत्तियां डाल देनी चाहिए. कुशा घास भी डाल सकते हैं. इससे खतरनाक ऊर्जा का प्रभाव खत्म होता है. दूध, भोजन और जल में तुलसी पत्ते डालने से ग्रहण बेअसर हो जाता है.
3. ग्रहण के दौरान मंदिर के दरवाजे और पर्दे बंद कर दिए जाते हैं. इस दौरान भगवान की मूर्तियों को नहीं छूना चाहिए. चंद्रमा संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए.
4. ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरत मंदों को वस्त्र दान देने से कई गुना पुण्य मिलता है, दान के बाद तुरंत स्नान करना जरूरी है.
5. ग्रहणकाल में भोजन से बीमारियां पनपती हैं, मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है. ग्रहणकाल की किरणें शरीर को कमजोर करती हैं. इनसे बचने को बाहर न निकलें.
6. ग्रहण काल में गर्भवती महिलाएं नारियल पास रखें. इससे ग्रहण का बुरा असर नहीं पड़ता. जप, ध्यानादि करती रहें. ईष्ट देव के मंत्रों का मन में जाप करना चाहिए.


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