Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति का मान-सम्मान ही उसकी सबसे बड़ी पूंजी होती है. जीवन में सम्मान बहुत परिश्रम के बाद मिलता है. चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को कभी भी अपने सम्मान से समझौता नहीं करना चाहिए. चाणक्य ने नीति शास्त्र में उस चीज का जिक्र किया जो व्यक्ति के लिए जहर के घूंट के समान है. इस चीज को बार-बार सहन करने पर व्यक्ति का सम्मान को क्षति पहुंचती है और इससे उसकी छवि खराब होती है.


अपमान का घूंट जहर से भी ज्यादा कड़वा होता है - आचार्य चाणक्य



  • जीवन में ऐसे परिस्थिति भी आती है जब गलतियों की वजह से व्यक्ति को अपमान सहन करना पड़ता है, लेकिन चाणक्य कहते हैं कि अगर बिना गलतियों के अपमान सहना पड़े तो वो जहर के घूंट के समान है.

  • चाणक्य कहते हैं कि अगर कोई शख्स अपमान करें तो उसे एक बार सहना समझदारी है. दूसरी बार हुए अपमान को सहन करना उस शख्स के महान होने का परिचय देता है, लेकिन अगर तीसरी बार भी बेइज्जती सहनी पड़े तो ये व्यक्ति की मूर्खता कहलाती है.

  • कई लोगों सहन शक्ति बहुत होती है, लेकिन बार-बार अपमान सहना आपकी छवि खराब कर सकता है. जीवन में ईर्ष्या रखने वाले, या असफल हुए व्यक्ति अक्सर दूसरों की सरेआम बेइज्जती करने की कोशिश करते हैं. चाणक्य कहते हैं कि अगर कोई बार-बार अपमान करें तो उसे ऐसा करने से रोकिए, क्योंकि जिस तरह बीता हुए कल वापस नहीं आता उसी प्रकार अगर आपने अपमान करने वाले को उसी वक्त जवाब नहीं दिया तो उसकी हिम्मत बढ़ जाएगी  और वो दोबारा सरेआम  आपकी बेइज्जती करने की कोशिश करेगा.

  • चाणक्य कहते हैं कि कोई बार-बार आपको नीचा दिखाने की कोशिश करें तो उसे फौरन टोक दें. ऐसा नहीं करने से व्यक्ति के मान-सम्मान में कमी आती है और फिर दूसरें भी आपको गलत बोलने से कतराते नहीं है.


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