Safalta Ki Kunji: चाणक्य की चाणक्य नीति, गीता का उपदेश और विद्वानों की बात का सार यही है कि सफल व्यक्ति वही है जो अपने पुराने समय को याद रखता है. भूतकाल में किए गए परिश्रम से वर्तमान की नींव तैयार होती है और वर्तमान में अर्जित परिश्रम से भविष्य के दरवाजे खुलते हैं. लेकिन जो लोग सफल होने पर अपना भूतकाल भूला देते हैं वे भविष्य में अपनी मुश्किलों को बढ़ा लेते हैं.


संतों का मत है कि सफल होना उतना मुश्किल कार्य नहीं है जितना सफलता को बनाए रखना. जीवन में हर व्यक्ति सफल होना चाहिए. सफल होने के लिए व्यक्ति कठोर परिश्रम करता है. दिन रात, हर मौसम को सहन कर व्यक्ति, सफल होने के लिए अपने लक्ष्य के प्रति सर्मिपत रहता है.


गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि सफल व्यक्ति को गंभीर होना चाहिए. गंभीरता व्यक्ति को सक्षम और कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित करती है. जो व्यक्ति सफल होने के बाद अहंकार में डूब जाते हैं, दूसरों को अपनी सफलता का अहसास कराते हैं, सामने वाले व्यक्ति को कमतर आंकते हैं ऐसे लोगों के पास सफलता अधिक दिनों तक नहीं टिकती है. ऐसे लोगों के पास अज्ञात शत्रुओं की कोई कमी नहीं होती है.
सफलता को कायम रखना है तो शत्रुओं की संख्या को कम करके रखना चाहिए. शत्रु कम होने पर आपकी सफलता की सीमा अधिक रहती है.


दूसरों का सम्मान करें
सफलता मिलने के बाद कुछ लोगों को अहंकार आ जाता है और इसी अहंकार में दूसरों के सम्मान को भूल जाते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए. ये गलत आदत है.


मानव कल्याण के लिए कार्य करें
सफल व्यक्ति को मानव हित के लिए कार्य करने चाहिए. जो व्यक्ति अपनी ही तरह दूसरे व्यक्तियों को सफल बनाने के लिए प्रयास करता है, समाज ऐसे लोगों का अनुशरण करता है.


वाणी में मधुरता लाएं
सफल व्यक्ति को अपने बर्ताव में विनम्रता और वाणी में मधुरता रखनी चाहिए. जिसके पास ये दोनों ही चीजें है, वह सभी के हृदय का प्रिय होता है.


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