कोरोना संकट काल के बीच इस साल बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार पड़ रहा है. कल यानी 7 मई को बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए ये त्योहार खास होगा. हालांकि लॉकडाउन के चलते उन्हें अपने घरों से ही पर्व को मनाने की मजबूरी होगी. तो वहीं हिंदू धर्मावलंबियों की भीड़ भी फल्गु नदी के तट पर नहीं जुटेगी.


वैशाख महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है. बुद्ध पूर्णिमा के पीछे गौतम बुद्ध से जुड़ी कई बाते हैं. इसी दिन गौतम बुद्ध की जयंती और निर्वाण दिवस पड़ता है. इसके साथ ही इसी दिन उन्हें ज्ञान की भी प्राप्ति हुई थी. बुद्ध के विष्णु के नौवें अवतार होने की वजह से हिंदुओं के यहां भी इस दिन को पवित्र माना जाता है. गौतम बुद्ध का जीवन संघर्ष, तपस्या और त्याग से भरा पड़ा है. उनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था. उनका जन्म कपिलवस्तु के पास लुम्बिनी में हुआ. 27 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़कर संन्यासी का रूप धारण कर लिया. संन्यासी बनने के बाद उन्होंने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया. उन्होंने चार आर्य सत्यों की शिक्षा दी.


अलग-अलग देशों में बुद्ध पूर्णिमा के समारोह स्थानीय रीति-रिवाजों और संस्कृति के हिसाब से संपन्न होते हैं. बोधगया में गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति होने के चलते हिंदू और बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए ये स्थान बहुत अहम माना जाता है. बुद्ध् पूर्णिमा के दिन हजारों की संख्या में हिंदू आकर यहां पिंडदान करते हैं. कहा जाता है कि फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने वाले व्यक्ति के मृतकों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं बुद्ध को माननेवाले भी विश्व भर से बोधगया आकर विशेष पूजा और प्रार्थना करते हैं. तो कल गौतम बुद्ध के माननेवालों को लॉकडाउन में रहते हुए घरों पर ही त्योहार मनाना पड़ेगा. इस बार फल्गु के तट पर श्रद्धालुओं का तांता नजर नहीं आएगा.


गणेश जी ने ऐसे की तीनों लोक की परिक्रमा, देखते रह गए सभी देवता


Narasimha Jayanti 2020: भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने लिया था नरसिंह अवतार