Bhagavad Gita 300 Types in Hinduism: हिंदू धर्म में श्रीमद्भागवत गीता, श्रीकृष्ण द्वारा बताया गया एक ऐसा बहुमूल्य ज्ञान जो जीवन और धर्म पालन करने का मार्गदर्शन प्रदान करता है. महाभारत काल में कुरुक्षेत्र की युद्ध भूमि में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, जिसके बाद अर्जुन को अपने कर्तव्यों का अहसास हुआ.
लेकिन क्या आप जानते हैं भगवत गीता ही तरह अन्य गीताएं भी उपलब्ध हैं, जिनमें उल्लेखित ज्ञान मानव जीवन को मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए काफी जरूरी है.
भगवद गीता के अलावा 300 से ज्यादा गीताएं
आपको जानकार हैरानी होगी कि, हिंदू धर्म और पुराणों में ऐसे कई गुढ़ रहस्यों और ज्ञान का जिक्र है, जिन्हें गीता कहा गया है. हम यहां पर कोई 4 या 5 तरह की गीता की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि 300 से ज्यादा गीताएं, जिनके बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है.
इनमें श्रीमद्भगवत गीता, अणु गीता, उत्तर गीता, भिक्षु गीता, गोपी गीता, अष्टवक्र गीता, उद्धव गीता, नहुष गीता, नारद गीता, पांडव गीता, शौनक गीता, व्याध गीता, युधिष्ठर गीता, पराशर गीता, पिंगला गीता, बोध्य गीता, विचछु गीता, मणकी गीता, व्यास गीता, वृत्र गीता, संपक गीता, हरिता गीता, भीष्म गीता, ब्राह्माण गीता, सनत्सुदान गीता, विदुर गीता, भ्रमर गीता, वेणु गीता, बक गीता, ब्रह्म गीता, जनक गीता, सिद्ध गीता,राम गीता, विभीषण गीता, हनुमद गीता, अगस्त गीता, भरत गीता, अवधूत गीता, ऋषभ गीता, वशिष्ठ गीता, कपिल गीता, जीवन्मुक्त गीता, हंस गीता, श्रुति गीता, युगल जैसी अन्य गीताएं शामिल हैं.
सभी तरह की गीता में कोई भी ऊपर या नीचे नहीं हैं, बल्कि सभी गीताओं में जीवन और धर्म से जुड़ी अलग-अलग परिस्थितियों का ज्ञान बताया गया है. लेकिन अष्टावक्र गीता को महागीता का सम्मान मिला है.
उलझनों का सामना करना सिखाती है तमाम गीताएं
हम सभी जानते हैं महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का ज्ञान दिया था, जिसके कारण अर्जुन धर्म और कर्तव्य के मार्ग को समझ सकें. लेकिन कई लोगों को ये नहीं पता होगा कि, युद्ध के बाद भी श्रीकृष्ण ने अर्जुन एक उपदेश दिया था, जिसे अनुगिता कहते हैं.
जब कभी किसी भक्त को धार्मिक उलझनों का सामना करना पड़ा, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें किसी न किसी माध्यम से मार्गदर्शन प्रदान किया. जैसे श्रीराम जी को समस्या आई तो ऋषि अगस्त्य ने उन्हें शिव गीता के जरिए मार्गदर्शन प्रदान किया.
अष्टावक्र गीता राजा जनक संवाद पर आधारित
सभी गीता में अष्टवक्र गीता अधिक सैद्धांतिक और परम सत्य का मार्ग दिखाता है. मन की शांति और मोक्ष के लिए यह ज्ञान काफी अहम है. महार्षि अष्टावक्र जिनके शरीर का 8 अंग काम नहीं करता था, वे राजा जनक से संवाद करते हुए गुढ़ सत्यों के बारे में बताते हैं.
महार्षि अष्टावक्र ने राजा जनक को बताया कि, व्यक्ति प्राकृतिक व्यवधानों से ऊपर उठता है, तभी उसे सच्ची अजादी प्राप्त होती है. अष्टावक्र गीता में कहा गया कि, जो भी व्यक्ति भौतिक चीजों के पीछे भागता है, उसका मन अशांत होने के साथ चीजों में उलझा रहता है.
जीवन में सच्ची शांति तभी मिलेगी, जब हम अपने अंदर की भावना को ठीक से जानेंगे. दुख और सुख मन के बने हुए भ्रम हैं, इससे मुक्त होने की जरूरी है.
अष्टावक्र गीता सिखाती है कि, दुनिया तो अपना मानकर किसी के साथ भी भेदभाव करने से बचना चाहिए, क्योंकि आत्मा और परमात्मा एक ही है. यह ज्ञान हमारे जीवन की सबसे बड़ी समस्या, मतभेद और द्वेष को खत्म कर सकता है. इसी वजह से भगवद गीता के साथ अष्टावक्र गीता को पढ़ना और समझना जरूरी है.
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