Ashadha Gupt Navratri 2022: आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि 30 जून 2022 से शुरू हो जाएगी. ये नवरात्रि सामान्य नवरात्रि से अलग होती है क्योंकि इसमें मां दुर्गा के वाममार्गी रूपों की साधना की जाती है जिन्हें महाविद्या कहा जाता है. तंत्र क्रिया में इन 10 महाविद्याओं का विशेष महत्व होता है. गुप्त नवरात्रि में सिद्धियां पाने के लिए तांत्रिक इन 10 महाविद्याओं की साधना करते हैं. मां दुर्गा के इन दस महाविद्याओं की साधना करने वाला व्यक्ति सभी भौतिक सुखों को प्राप्त कर बंधन से भी मुक्त हो जाता है. आइए जानते हैं कैसे प्रकट हुईं ये 10 महाविद्याएं


कौन हैं दस महाविद्याएं


मां काली, मां तारा, मां त्रिपुरासुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुराभैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला


कैसे प्रकट हुईं 10 महाविद्याएं


देवी सती के पिता प्रजापति दक्ष ने भव्य यज्ञ का आयोजन किया था.जिसमें शिव जी के अलावा सभी देवी-देवता, ऋषि मुनि आमंत्रित किया गया. देवी सती ने शिव जी से इस यज्ञ में जाने की इच्छा जाहिर की. लेकिन भगवान भोलेनानथ ने उन्हें ये कहते हुए मना कर दिया कि बिना आमंत्रण उस यज्ञ में जाना उचित नहीं.


देवी सती के क्रोध से हुईं महाविद्याओं की उत्पत्ति


भगवान भोलेनाथ के कई बार समझाने पर भी देवी सती नहीं मानी. शिव जी के बार-बार इनकार करने पर देवी को क्रोध आ गया. इस दौरान उन्होंने भयंकर रूप धारण कर लिया और फिर दसों दिशाओं से माता सती के दस अलग-अलग रूप प्रकट हो गए. इन दस स्वरूपों को ही दस महाविद्या कहा जाता है. मां ने बाद में दैत्यों और राक्षसों का वध करने के लिए इन शक्तियों का प्रयोग किया.


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