सामुद्रिक शास्त्र की सबसे महत्वपूर्ण विधा हस्तरेखा विज्ञान में अंगुलियों का विशेष महत्व है. ज्योतिष के अनुसार राशियों के स्थान अंगुलियों के 12 पोरों में निर्धारित किए गए हैं. अंगुलियों का एक-दूसरे की ओर झुकाव और लंबाई से व्यक्ति के व्यक्तित्व का पता चलता है. रुचियों और कर्मठता की जानकारी प्राप्त होती है.


लंबी  अंगुलियां व्यक्ति को अधिक चिंतनशील और वैचारिक बनाती हैं. सृजनात्मक और कल्पनाशील कार्याें से जुडे़ व्यक्ति इसी श्रेणी में आते हैं. सभी प्रकार के प्रयोगधर्मी इस श्रेणी में आते हैं. कलाकार, कथाकार कवि और मूर्तिकार शामिल होते हैं. ऐसे लोग स्मार्ट वर्किंग में भरोसा रखते हैं. श्रम साध्यता इनके लिए कठिन होती है. देह से बलिष्ठ भी सामान्य होेते हैं.


छोटी अंगुलियों वाले अघिक श्रमशील और सेवाभावी होते हैं. समाज की रीढ़ होते हैं. अच्छे ग्रहस्थ होते हैं. जीवन को सुख भोग के साथ जीने में भरोसा रखते हैं. निर्णय लेने में आगे रहते हैं. तर्कशील और वाणिज्यिक होते हैं. लोगों से काम लेना और निकालना जानते हैं. शिष्टाचार में थोड़े कमजोर होते हैं. मध्यम श्रेणी में अच्छे नेतृत्वकर्ता होते हैं. 


अंगुलियों के सबसे उूपर के पोर लंबे होते हैं तो बुद्धिजीवी होते हैं. बौद्धिक श्रम में आगे रहते हैं. पठन पाठन में रुचि रहती है. समस्याओं का बेहतर निदान खोज पाते हैं. प्रबंधन प्रशासन की गतिविधियांे जुड़ने वाले होते हैं. अच्छे वकील डॉक्टर अभियंता और अन्य पदाधिकारियों के अंगुलियों के सबसे उूपर के पोर लंबे पाए जाते हैं.


अंगूठे के बाजूवाली अंगुली मध्यमा अर्थात् सबसे बड़ी अंगुली की ओर झुकी हो तो भाग्यवादी होते हैं. पाप-पुण्य फल पर विश्वास करते हैं. उक्त दोनों अंगुलियों की दिशा अलग हो तो कर्मठ होते हैं. भाग्य से अधिक स्वयं पर भरोसा रखते हैं. साहसी होते हैं. इन्हें अति उत्साह से बचना चाहिए.