Relationship Tips: प्यार एक ऐसा अहसास है जिसे शब्दों में समेटना मुश्किल है. किसी की हंसी पर दिल धड़कने लगे तो किसी की एक झलक से दुनिया रंगीन लगने लगे, ये सब फिल्मों में अच्छा लगता है. लेकिन क्या असल जिंदगी में भी इतनी जल्दी और इतनी आसानी से प्यार हो जाना सही है?
आजकल की तेज रफ्तार जिंदगी में, इंस्टेंट कॉफी की तरह इंस्टेंट कनेक्शन और इंस्टेंट रिलेशनशिप का ट्रेंड चल रहा है. कुछ मुलाकातें, कुछ चैट्स और फिर सोशल मीडिया पर रिलेशनशिप’ का ऐलान. लेकिन सवाल ये है कि, क्या ये ‘जल्दबाजी का प्यार’ वाकई टिकता है? क्या आपने दिल के साथ-साथ दिमाग का भी इस्तेमाल किया है?
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खुद को जानना है जरूरी
रिलेशनशिप में जाने से पहले खुद को समझना बेहद जरूरी है. आप क्या चाहते हैं? आपको कैसा जीवनसाथी चाहिए? क्या आप किसी रिश्ते के लिए तैयार हैं या सिर्फ भावनात्मक सहारे की तलाश में हैं? जब आप खुद को अच्छी तरह जानते हैं, तभी आप सही इंसान को चुनने में सक्षम होते हैं.
सामने वाले को वक्त दीजिए
प्यार में जल्दबाज़ी से अक्सर रिश्ते कमजोर पड़ जाते हैं. किसी को जानने में समय लगता है. उसकी सोच, आदतें, व्यवहार, ये सब धीरे-धीरे सामने आते हैं. इसलिए किसी रिश्ते में कूदने से पहले थोड़ा वक्त देना चाहिए, ताकि आप यह तय कर सकें कि, यह रिश्ता आपकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाएगा या नहीं.
क्या आपके जीवन के लक्ष्य मिलते हैं?
प्यार के अलावा भी रिश्ते को चलाने के लिए कई बातें जरूरी होती हैं, जैसे करियर गोल्स, फैमिली वैल्यूज़, जीवन जीने का तरीका और भविष्य को लेकर सोच. अगर इन मामलों में दोनों के बीच तालमेल नहीं है, तो रिश्ता लंबे समय तक नहीं टिकता. इसलिए सिर्फ दिल ही नहीं, दिमाग से भी यह मूल्यांकन करें कि, क्या आप दोनों का जीवन एक दिशा में जा सकता है.
जल्दबाजी नहीं, समझदारी दिखाएं
हर मीठी शुरुआत लंबा साथ नहीं देती. इसीलिए किसी भी रिश्ते में जल्दबाजी न करें. धीरे-धीरे किसी को जानें, दोस्ती करें और समझदारी से रिश्ते की ओर बढ़ें. ऐसा करने से आप न केवल एक मजबूत रिश्ता बना पाएंगे, बल्कि खुद को अनावश्यक दिल टूटने से भी बचा पाएंगे.
प्यार एक खूबसूरत अहसास है, लेकिन अगर उसमें दिमाग की भागीदारी न हो तो वह जल्दी टूट सकता है. रिश्ते बनाने से पहले जरूरी है कि, आप खुद को, सामने वाले को और परिस्थिति को अच्छी तरह समझें. सच्चा रिश्ता वही होता है जो दिल से जुड़ता है और दिमाग से निभाया जाता है. तो अगली बार जब दिल धड़कने लगे, तो दिमाग से भी एक बार सलाह ले लें.
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