घर में अधिकतर बच्चे ऐसे होते हैं जो बहुत मस्ती और काम बिगाड़ने वाले होते हैं. पूरे घर में मस्ती, शोर-शराबा करना उनकी आदत बन जाती है. इसके अलावा कई बच्चें ऐसे होते हैं, जो सिर्फ मोबाइल या गेम्स में लगे रहते हैं, जिससे परेशान होकर माता-पिता कई बार चिल्लाने के साथ उनकी पिटाई भी कर देते हैं. जो बिलकुल सहीं नहीं है. बच्चों के साथ सख्ती से पेश आना हर माता पिता के लिए एक मामूली समस्या है. लेकिन यह समस्या एक बड़ा रूप धारण कर सकती है, जो पेरेंट्स के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती हो सकती है. 


सख्ती से पेश आने की वजह


अक्सर माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य की चिंता में रहते हैं, जिस कारण न चाहते हुए भी वे नियमित रूप से बच्चों को चिलाते रहते हैं. मां-बाप अपने बच्चों के लिए सख्त नियम बना देते हैं, जिससे उनके बच्चे सफलता हासिल कर तरक्की करें. इसके अलावा कई मां-बाप ऐसे होते हैं जो सामाजिक दबाव में आकर अपने बच्चों के साथ सख्ती से पेश आते हैं. बच्चों की परवरिश उनके दोस्त बन कर करें, क्योंकि बच्चों के साथ जरूरत से ज्यादा सख्ती कई नकारात्मक परिणामों को जन्म देती है.  


संतुलन बनाए रखें


बच्चों को चिल्लाना व डरना उन्हें बुरा लग सकता है, इससे उनका आत्मविश्वास कम होगा और वह माता-पिता से दूर जाने लगेंगे. इससे बचने के लिए आप अपने बच्चों से दोस्ती बनाकर रखें उनकी बातों को सुने और समझे. पेरेंट्स को ये पता होना चाहिए कि उनके बच्चे उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं, इसलिए माता-पिता को भी अपने बच्चों की बातों को सुनना चाहिए और उनका सहयोग करना चाहिए. अगर आप अपने बच्चों से दोस्त बनकर बात करेंगे और उनकी बातों को समझेंगे तो बच्चों का विकास सही तरीके से होगा और स्वतंत्रता के साथ वह अपने विचारों को माता-पिता से साझा करेगा.


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