एक नए रिसर्च के मुताबिक, 90 फीसद महिलाएं इंटरनेट पर पोस्ट करने से पहले अपना फिल्टर या एडिट किया हुआ फोटो इस्तेमाल करती हैं. नतीजे से पता चलता है कि महिलाएं निरंतर छानबीन में लगी रहती हैं और इस चिंता का और परेशानी का कोविड-19 महामारी के दौरान विस्तार हुआ है.


महिलाएं ऑनलाइन एडिट या फिल्टर फोटो का करती हैं इस्तेमाल


रिसर्च से संकेत मिला कि महिलाएं अपनी त्वचा की टोन, जबड़े या नाक का नया आकार, वजन, अपना चमकीला स्किन और अपने सफेद दांत को भी फिल्टर या एडिट करती हैं. सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के रोसालिंड गिल ने बयान में कहा, "रोजाना करीब 100 मिलियन फोटो सिर्फ इंस्टाग्राम पर पोस्ट होते हैं, हम कभी भी इस तरह के नेत्रहीन समाज में नहीं रहे हैं."


उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर पोस्ट 'लाइक्स मिलने' की सूरत में बेहद खुशी पैदा कर सकता है और प्रशंसात्मक ध्यान बटोर सकता है, लेकिन ये सबसे युवा महिलाओं के लिए भारी चिंता का स्रोत भी है. रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने करीब 200 युवा महिलाओं और ब्रिटेन के गैर-द्विआधारी लैंगिक ग्रुप को हिस्सा बनाया. गैर-द्विआधारी लैंगिक लोगों में बाईजेंडर, पैनजेंडर, लिंगतरल या एजेंडर लोग होते हैं.


कोविड-19 महामारी के दौरान छानबीन की चिंता में हुई वृद्धि


रिपोर्ट के मुताबिक, युवा लोगों का मास मीडिया के साथ लगातार क्रोध दिखा और उन्होंने खूबसूरती की बहुत सूक्ष्म परिभाषा पर भी फोकस किया. रिसर्च में शामिल युवा महिलाओं ने ये नियमित विज्ञापन या कॉस्मेटिक प्रक्रियाओं खासकर दांत को साफ करने, होठ को फिल्टर और छाती, निचला हिस्सा या नाक बढ़ाने के लिए सर्जरी करने का पुश नोटिफिकेशन देखा.


पुश नोटिफिकेशन एक तरह के मैसेज होते हैं जो किसी यूजर के डिवास में नया मैसेज आने पर पॉप अप करते हैं. रिपोर्ट खास मुद्दों के बारे में प्रश्न खड़े करती है कि कैसे रंग-रूप का मानक सिकुड़ रहा है और कैसे स्मार्टफोन का खर्च एडिटिंग और फिल्टर एप के साथ जुड़कर एक ऐसे समाज में योगदान कर रहा है जिसमें युवा लोग निरंतर फोरेंसिक छानबीन के तहत रहते हैं.


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