मां का दूध बच्चे के लिए सबसे अच्छा आहार है. यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है और बच्चे की इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मदद करता है. इसके अलावा, ब्रेस्टफीडिंग करवाने से मां को भी कई लाभ मिलते है. यह मां और बच्चे दोनों को कई तरह की बीमारियों से बचाता है. ब्रेस्टफीडिंग करवाने से मां में कैंसर का खतरा बहुत ही कम हो जाता है.हर मां के मन में यह सवाल होता है कि वह अपने बच्चे को कब तक फीड करवे ताकि उसकी सही विकास हो सकते. विशेषज्ञों का कहना है कि लगभग 2 साल की उम्र तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध पिलाना चाहिए. कई मां तीन साल तक दूध पिलाती हैं, जोकि ठीक नहीं है. 
 
2 साल के बच्चों का पाचन शक्ति बढ़ जाता है 
 मां का दूध बच्चे के लिए सबसे पूर्ण आहार होता है. इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज जैसे सभी पोषक तत्व उचित मात्रा में पाए जाते हैं. ये पोषक तत्व बच्चे के शरीर के हर हिस्से - मांसपेशियों, हड्डियों और अंगो के सही विकास में मदद करते हैं. वे बच्चे की कोशिकाओं को बनाते है. डॉक्टर्स की सलाह होती है कि जन्म के बाद से ही बच्चे को कम से कम 2 साल तक मां का दूध जरूर पिलाना चाहिए. दो साल के बाद बच्चे का पाचन शक्ति मजबूत हो जाता है और वह पूरी तरह से ठोस आसार लेने लगता है. 
 
एंटीबॉडीज दो साल तक रहता है कमजोर मां के दूध में कई प्रकार की एंटीबॉडीज पाई जाती हैं जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती हैं. ये एंटीबॉडीज वायरस, बैक्टीरिया और अन्य संक्रमणों से लड़ने में मदद करती हैं.बच्चे का इम्यून सिस्टम जन्म के 2 साल तक कमजोर होता है.इस दौरान ये एंटीबॉडीज उसे बाहरी संक्रमणों से होने वाली बीमारियों जैसे प्निमोनिया, डायरिया, मलेरिया आदि से सुरक्षा देती है. इसलिए डॉक्टर्स का मानना है कि बच्चे को कम से कम 2 साल तक मां का दूध जरूर पिलाना चाहिए ताकि वह इन बीमारियों से लड़ सके. मां का दूध एक तकह का प्राकृतिक टीका ही है. उसके बाद बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहिए. 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.