कैंसर एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है, जिससे आज दुनियाभर में करोड़ों लोग पीड़ित हैं. ऐसे में कैंसर का इलाज करना बहुत मुश्किल हो जाता है. लेकिन इम्यूनोथेरेपी नामक एक नए इलाज ने कैंसर के मरीजों को एक नई आशा दी है. इम्यूनोथेरेपी में मरीज के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को इतना मजबूत किया जाता है कि वह खुद ही कैंसर कोशिकाओं से लड़ने लगती है. यानी इस इलाज में शरीर के अंदर ही कैंसर के खिलाफ एक सेना तैयार की जाती है जो कैंसर कोशिकाओं से लड़ती है और उन्हें खत्म करने में मदद करती है. 


जानें क्या कहता है रिसर्च 
कैंसर जर्नल सेल में हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, इम्यूनोथेरेपी एंडोमेट्रियल (गर्भाशय संबंधी) कैंसर और कोलोरेक्टल (मलाशय संबंधी) कैंसर के कुछ मरीजों के लिए बेहद प्रभावी उपचार साबित हो सकता है.इस अध्ययन में 1,655 कैंसर मरीजों का विश्लेषण किया गया था. इनमें से 6% एंडोमेट्रियल कैंसर रोगियों और 1% कोलोरेक्टल कैंसर रोगियों में मिसमैच रिपेयर डेफिसिट नामक एक कमी पाई गई थी. इस कमी के कारण शरीर की कोशिकाओं की DNA की स्व-मरम्मत करने की क्षमता कम हो जाती है.शोधकर्ताओं ने पाया कि ऐसे मरीजों ने इम्यूनोथेरेपी जैसी अन्य उपचारों की तुलना में काफी अच्छा रेस्पांस दिया. यानी, इन मरीजों में इम्यूनोथेरेपी एक बेहतर विकल्प साबित हुआ. 


जानें कैसे इम्यूनोथेरेपी  थिरेपी 
इस  अध्ययन से एंडोमेट्रियल (गर्भाशय संबंधी) कैंसर और कोलोन (मलाशय संबंधी) कैंसर के कुछ मरीजों के लिए इम्यूनोथेरेपी कितनी लाभदायक हो सकती है, इसका पता चला है.इम्यूनोथेरेपी एक ऐसा उपचार है जो मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है ताकि वह शरीर में मौजूद कैंसर कोशिकाओं से लड़ सके. इस उपचार से कैंसर के मरीज अच्छी जीवन गुणवत्ता के साथ ज्यादा समय तक जिंदा रह पाते हैं. यहां तक कि कैंसर के लास्ट स्टेज में भी यह ज्यादा काम करेगा. दरअसल, कई कैंसर मरीजों में डीएनए की मरम्मत करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे कैंसर फैलता है. लेकिन इम्यूनोथेरेपी इस कमी को दूर करके काम करती है और मरीज को बचा लेती है. 


दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहें है मामले 
दुनियाभर में कैंसर के मामलों में तेजी से इज़ाफा हो रहा है, जो स्वास्थ्य महकमे के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, पिछले 30 सालों में 50 साल से कम उम्र के लोगों में कैंसर के नए केसों में 79% की वृद्धि हुई है.आंकलन किया गया है कि 2030 तक पहले स्टेज के कैंसर के मामले वैश्विक स्तर पर 31% तक बढ़ सकते हैं. ये आंकड़े बहुत चिंताजनक हैं. 


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