घर की साज-सजावट में कर्टेन्स यानी पर्दे काफी अहम भूमिका निभाते हैं. अगर ये दीवारों से मेल न खाएं, तो कमरे का लुक काफी अटपटा सा लगने लगता है. वहीं ड्रॉइंग रूप या लिविंग रूम में हवा और रोशनी के लिए हल्के और लाइट कलर के पर्दे काफी अच्छे लगते हैं. हालांकि, केवल पर्दे लगाना मात्र ही काफी नहीं है, बल्कि समय-समय पर इनकी सफाई करते रहना भी बेहद जरूरी होता है, वरना ये आपके रहने की जगह को धूल की सीलन में बदल सकते हैं. कुछ लोग पर्दों को लगाकर मानों भूल ही जाते हैं कि उन्हें धोना भी है. अगर आपको भी नहीं पता पर्दे कितनी बार धोने चाहिए. तो, हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं.


पर्दे धोना क्यों जरूरी है?


विशेषज्ञ हमें बताते हैं कि पर्दे स्वाभाविक रूप से धूल को आकर्षित करते हैं और समय के साथ गंध को भी अवशोषित कर लेते हैं, जिससे गंदगी और बदबू के अलावा एलर्जी भी पैदा हो सकती है. वहीं अमेरिका के अस्थमा और एलर्जी फाउंडेशन का कहना है कि धूल के कण साल भर होने वाली एलर्जी और अस्थमा के सबसे आम ट्रिगर्स में से हैं. ये पर्दे ही हैं, जो हवा से धूल और अन्य कणों को फ़िल्टर करने का काम करते हैं. दूसरे शब्दों में कहें, तो अगर आप अपने पर्दों को धूल इकट्ठा करने के लिए छोड़ रहे हैं, तो इस आदत को जल्द से जल्द बदल लें.


पर्दे कितनी बार धोने चाहिए?


पर्दे देखने में जितने अच्छे लगते हैं उन्हें उतारना और लटकाना अपने आप में उतना ही परेशानी भरा काम है. ऐसे में हम काई बार इसलिए भी पर्दे धोने में आलस कर जाते हैं. वैसे तो इन्हें साफ करने का कोई एक निश्चित समय नहीं है. यह जब गंदे दिखें तभी साफ कर लेना चाहिए. लेकिन अगर इसके लिए समय निर्धारित किया जाए, तो पर्दों को हर तीन से छह महीने में एक बार धोन लेना चाहिए. ऐसा करने से धूल और एलर्जी के कण इसमें से निकल जाते हैं.