दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में से एक है HIV AIDS. इस बीमारी को खत्म करने के लिए कई सालों से प्रयास जारी हैं, लेकिन अभी तक इसकी वैक्सीन हासिल नहीं हो पाई है. ऐसे में वैक्सीन तैयार करने की जरूरत और इसके लिए हो रहे प्रयास में जुटे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के योगदान को याद करने और सम्मानित करने के लिए विश्व एड्स वैक्सीन दिवस (World AIDS Vaccine Day) या HIV Vaccine Day मनाया जाता है.


1998 में हुई थी शुरुआत

हर साल 18 मई को इस दिवस को मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 18 मई 1998 को हुई थी. उस दिन पहला एड्स वैक्सीन दिवस मनाया गया था. उससे एक साल पहले ही तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने इस महामारी के इलाज के लिए वैक्सीन की खोज पर जोर दिया था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इस महामारी से लाखों लोगों की जान जा चुकी है. संगठन के अनुसार, सिर्फ 2018 में ही इस बीमारी से 7,70,000 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 17 लाख लोग इससे संक्रमित हुए थे.

रिपोर्ट के मुताबिक 2018 तक दुनियाभर में 3.79 करोड़ लोगों में ये बीमारी पाई गई है. इनमें से सबसे ज्यादा 1.8 करोड़ महिलाएं जबकि 1.7 करोड़ पुरुष मरीज हैं. वहीं अब तक 17 लाख बच्चों में भी ये बीमारी पाई गई है.

2030 तक खत्म करने का लक्ष्य

WHO के ही मुताबिक, एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी के बढ़ते प्रसार के कारण HIV संक्रमण में काफी कमी देखने को मिली है. रिपोर्ट के मुताबिक 2010 के मुकाबले 2018 में इस घातक वायरस से संक्रमण में 33 फीसदी की कमी आई है.

संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा है. संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डेवलपमेंट एजेंडा के तहत जन स्वास्थ्य के लिए खतरे के तौर पर इस बीमारी को 2030 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है.

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