Down Syndrome: बच्चों को जन्म के साथ कई सारी समस्याएं होती है जो कि आगे चलकर सामान्य हो जाता है. लेकिन नवजात में एक ऐसी भी समस्या होती जो जीवन में कभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता. इसका नाम है डाउन सिंड्रोम. डाउन सिंड्रोम एक अनुवांशिक विकार है. इसमें बच्चा अपने 21वें क्रोमोसोम की एक्स्ट्रा कॉपी के साथ पैदा होता है. इस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे अन्य बच्चों से काफी अलग होते हैं. वैसे तो ये नॉर्मल दिख सकते हैं लेकिन क्षमताएं अलग हो सकती है. डाउन सिंड्रोम वाले लोगों का आईक्यू लेवल सामान्य और मीडियम लेवल से भी कम रेंज का होता है. इस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में बोलने में धीमे होते हैं. हर साल लाखों की तादाद में बच्चे इससे प्रभावित होते हैं. अमेरिका में हर साल करीब 6000 बच्चे इस कंडीशन के साथ पैदा होते हैं. इसकी वजह से बच्चों को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.


जानिए क्या है डाउन सिंड्रोम 


सेंट्रल डिजीज कंट्रोल के मुताबिक जब बच्चा पैदा होता है तो उसके शरीर में 46 क्रोमोसोम होते हैं जिन्हें वह अपने माता-पिता से पाता है. इनमें आधे मां और आधे पिता से बच्चे को मिलता है. डाउन सिंड्रोम जैसी जन्मजात स्थिति के साथ पैदा हुए बच्चों में क्रोमोसोम 21 अतिरिक्त होते हैं, इस तरह बच्चे के शरीर में 47 क्रोमोजोम हो जाता है, जो बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा बनता है. विशेषज्ञों की मानें तो आमतौर पर 35 साल और उससे अधिक उम्र की गर्भवती महिलाओं में ये स्थिति होने की आशंका ज्यादा होती है. ऐसे में उन्हें स्क्रीनिंग टेस्ट कराने की सलाह देते हैं. स्क्रीनिंग टेस्ट के जरिए पता चलता है कि बच्चा डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है या नहीं?


ये हैं डाउन सिंड्रोम के लक्षण


डाउन सिंड्रोम के लक्षण आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं. हालांकि ये लक्षण बच्चों में देखे जा सकते हैं.



  • आंखों का ऊपर उठा हुआ होना

  • आंख से तिरछा दिखाई देना

  • जीभ का ज्यादा उधार होना चेहरे का चपटा होना

  • कान मूंह या सिर का छोटा होना

  • छोटी गर्दन

  • छोटी उंगलियां

  • छोटे हाथ पैर.

  • बच्चे की लंबाई नहीं बढ़ती.

  • नाक या मूंह का दबा हुआ होना


डाउन सिंड्रोम से जूझ रहे बच्चों को कई अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है. जैसे बहरापन, कमजोर आंखें, मोतियाबिंद, नींद के दौरान सांस लेने में दिक्कत, मोटापा, थायराइड, अल्जाइमर दिल से संबंधित परेशानियां.


डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चों का ख्याल कैसे रखें


बच्चे को संतुलित आहार दें, क्योंकि ऐसे बच्चों का इम्यूनिटी कमजोर होती है, जिससे इन्हें संक्रमण होने का भी खतरा ज्यादा रहता है, नियमित शारीरिक व्यायाम करवाएं, नियमित रूप से व्यायाम की आदत बच्चे को एक्टिव बनाए रखने में मदद करेगी, इससे इम्यूनिटी भी बूस्ट होगा और बच्चा मानसिक स्थिति में भी बेहतर बदलाव लाएगा. डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे को स्पीच थेरेपी दिलवाएं. ये उनके बोलने की क्षमता में सुधार लाएगा.


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