प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाला एक गंभीर रोग है, जिसका इलाज अक्सर दवाओं और हार्मोन थेरेपी से किया जाता है. लेकिन कई बार देखा गया है कि कुछ मरीजों पर दवाओं का असर धीरे-धीरे कम हो जाता है और कैंसर फिर से सक्रिय हो जाता है. हाल ही में हुई एक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि शरीर में मौजूद कुछ खास प्रोटीन प्रोस्टेट कैंसर की दवाओं के दुश्मन बन जाते हैं. ये प्रोटीन न केवल इलाज को कमजोर करते हैं बल्कि मरीज की हालत भी खराब कर सकते हैं.
क्या है प्रोस्टेट कैंसर?
प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों के प्रजनन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो प्रोस्ट्रेट ग्लैंड में शुरू होती है. शुरुआती स्टेज में यह धीरे-धीरे बढ़ता है और लक्षण बहुत मामूली होते हैं. लेकिन जब यह बढ़ने लगता है तो पेशाब में तकलीफ, ब्लड आना, कमर या हड्डियों में दर्द जैसे लक्षण सामने आते हैं.
रिसर्च में क्या सामने आया?
वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में पाया कि AR-V7 और अन्य वैरिएंट प्रोटीन प्रोस्टेट कैंसर की दवाओं के खिलाफ काम करते हैं. ये प्रोटीन कैंसर सेल्स को दवा से लड़ने की ताकत दे देते हैं, जिससे दवा असर नहीं कर पाती. यही वजह है कि कई मरीजों पर इलाज का असर लंबे समय तक नहीं टिक पाता और उनकी हालत बिगड़ने लगती है.
दवाओं पर क्यों नहीं होता असर?
प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में आमतौर पर हार्मोन ब्लॉक करने वाली दवाएं दी जाती हैं. लेकिन जब ये प्रोटीन एक्टिव हो जाते हैं, तो कैंसर कोशिकाएं दवा से बचने के तरीके ढूंढ लेती हैं. इसके कारण कैंसर कोशिकाएं दोबारा बढ़ने लगती हैं और मरीज की हालत खराब हो सकती है.
मरीजों के लिए इसका क्या मतलब है?
इस रिसर्च का सबसे बड़ा नतीजा यह है कि डॉक्टर अब दवा शुरू करने से पहले यह जांच सकते हैं कि मरीज के शरीर में ये प्रोटीन कितने एक्टिव हैं. अगर प्रोटीन ज्यादा एक्टिव मिलते हैं, तो डॉक्टर तुरंत दूसरी थेरेपी या एडवांस ट्रीटमेंट का विकल्प चुन सकते हैं.
क्या है नया इलाज?
साइंटिस्ट अब ऐसे टारगेटेड ड्रग्स पर काम कर रहे हैं, जो इन प्रोटीन को ब्लॉक कर सकें. अगर ये दवाएं सफल हुईं, तो प्रोस्टेट कैंसर मरीजों को ज्यादा लंबे समय तक फायदा मिलेगा और उनकी जिंदगी बेहतर हो सकेगी.
एक्सपर्ट की राय
कैंसर एक्सपर्ट का मानना है कि हर मरीज के लिए इलाज एक जैसा नहीं हो सकता. अगर डॉक्टर पहले ही इन प्रोटीन की पहचान कर लें, तो इलाज ज्यादा असरदार और सुरक्षित हो सकता है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.