Parental Tips: नींद लोगोें की सेहत के लिए जरूरी है. डॉक्टरों के एक वर्ग का कहना है कि 7 से 8 घंटा जरूर सोना चाहिए. रोज 6 घंटे से कम सोने वाले लोगों को मानसिक तौर पर समस्याएं पैदा हो जाते हैं. ऐसे लोग डिप्रेशन, एंग्जाइटी और अन्य मेंटली इलनेस के शिकार हो जाते हैं. आमतौर पर नींद की समस्या बड़ों में देखने को मिलती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि नींद कम होने का प्रभाव बच्चों की सेहत पर भी अधिक देखने को मिलता है. नींद की कमी भी बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव डालती हैं. इसको लेकर हाल में स्टडी की गई. स्टडी मं कई फैक्ट हैरान करने वाले सामने आए हैं. 


न्यूजीलैंड के 100 बच्चों पर हुआ अध्ययन


जामा नेटवर्क ओपन में एक स्टडी पब्लिश की गई. इसमें न्यूजीलैंड में रहने वाले 8 से 12 साल के बच्चों पर अध्ययन किया गया. इन सभी बच्चों के सोने पर नजर रखी गई. शोधकर्ताओं ने देखा कि एक सप्ताह तक बच्चे सामान्य समय से एक घंटा पहले सोने गए ओर दूसरे तक सप्ताह एक घंटे बाद तक सोए. बच्चों की नींद में गड़बड़ी होने को भी नोटिस किया गया. 


39 मिनट ने ही बिगाड़ा खेल


अध्ययन में जो कुछ दिख रहा था. शोधकर्ता उसे नोट करते भी जा रहे थे. जो लोग नियमित तौर पर सोए, जिन्होंने 8 से 11 घंटे तक नींद ली. उनका स्वास्थ्य बेहतर रहा. वहीं, जो लोग हर दिन 39 मिनट कम नींद ले रहे थे. एक सप्ताह के मूल्यांकन के बाद सामने आया कि ऐसे बच्चों मंे स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें होने लगीं. वह फोकस नहीं कर पा रहे थे. थकान जैसी स्थिति में रहते. 


बच्चों ने ये कहा


अध्ययन में अन्य पहलुओं को भी शामिल किया गया. यह भी पूछा गया कि माता-पिता और अन्य साथियों के साथ उनका व्यवहार कैसा रहता है. स्कूल को लेकर उनका रुख क्या है? बच्चों से पूछा गया कि बच्चे पूरी तरह से पढ़ाई कर लेते हैं. फिजिकली फिट रहते हैं या नहीं, स्कूल में समय गुजारने के बाद दोस्त और परिवार के साथ समय बिताने के लिए एनर्जी बची है या नहीं? काफी बच्चों ने नहीं सक्षम होने में जवाब दिया. 


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