कैंसर आज के समय में इंसानों को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है. पहले यह बड़े उम्र के लोगों में ज्यादा होता था, लेकिन आज कम उम्र के लोग भी इसकी चपेट में हैं. अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो स्त्री से लेकर पुरुष तक हर कोई कैंसर से परेशान है. इसके अलावा इसके इलाज में काफी खर्च आता है जो आम इंसान कभी-कभी उतना दे नहीं पाता और इसके चलते हर साल बड़ी संख्या में इससे लोगों की मौत हो जाती है. अब इसी बीमारी को काउंटर करने के लिए रूस ने वैक्सीन का निर्माण किया है. यह वैक्सीन अगर इंसानों पर पूरी तरह सफल होती है, तो यह मानव सभ्यता के सबसे महान खोजों में से एक होने वाली है. अभी तक mRNA बेस्ड वैक्सीन 'एंटरोमिक्स' ने प्री-क्लिनिकल ट्रायल्स में 100 प्रतिशत तक प्रभावशील और सुरक्षित दिखी है. इस वैक्सीन को रूस के नेशनल मेडिकल रिसर्च रेडियोलॉजी सेंटर और रूस के ही एकेडमी ऑफ साइंस के एंगेलहार्ट इंस्टीट्यूट ऑफ मॉलिक्यूलर बायोलॉजी ने साथ मिलकर तैयार किया है.
48 वॉलंटियर्स के साथ ट्रायल
इस वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल 48 वॉलंटियर्स के साथ हुआ है, जिसकी घोषणा सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम (SPIEF 2025) में 18 से 21 जून के दौरान की गई थी. ट्रायल के बाद फेडरल मेडिकल एंड बायोलॉजिकल एजेंसी की तरफ से यह जानकारी दी गई है कि अब यह वैक्सीन क्लिनिकल यूज के लिए पूरी तरह तैयार है. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह एक mRNA बेस्ड वैक्सीन है, जिसे हर इंसान के RNA के आधार पर खासतौर पर तैयार किया जाएगा. रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि वैक्सीन इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है, ताकि वह कैंसर के सेल्स को खत्म करने में मददगार हो. इसका पहला वैरियंट कोलोरेक्टल कैंसर के लिए तैयार किया गया है, वहीं आने वाले बाकी वैरियंट ग्लियोब्लास्टोमा और मेलेनोमा के लिए हो सकते हैं.
कब तक लोगों को मिल सकती है?
अब ट्रायल के बाद वैक्सीन को रेगुलेटरी मंजूरी का इंतजार है. एक बार जैसे इसे मंजूरी मिल जाती है, उसके बाद इसे लोगों के लिए उपल्ब्ध करवा दिया जाएगा. इसी के साथ ही यह एंटरोमिक्स दुनिया की पहली mRNA कैंसर वैक्सीन के तौर पर अपना नाम इतिहास में दर्ज करवा लेगी. इससे न सिर्फ रूस बल्कि दुनिया के लाखों लोगों को एक उम्मीद है जो कैंसर से जंग लड़ रहे हैं. यह मेडिकल साइंस के क्षेत्र में किसी महान उपलब्धि से कम नहीं होने वाली है.
दुनिया के किन देशों में बन रही कैंसर की वैक्सीन?
अमेरिका
रूस के अलावा अगर किसी देश का नाम इस लिस्ट में पहले नंबर पर आएगा तो वह है अमेरिका. अमेरिका में कैंसर वैक्सीनेशन के क्षेत्र में सबसे अधिक शोध हो रहा है. नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (NCI) और अन्य प्रमुख संस्थान mRNA आधारित कैंसर वैक्सीनेशन पर काम कर रहे हैं. माउंट सिनाई मेडिकल सेंटर ने PGV001 नामक व्यक्तिगत कैंसर वैक्सीन का Phase 1 ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किया है, जो तमाम तरह के कैंसरों के खिलाफ मजबूत इम्यून प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है.
चीन
चीन में भी कैंसर वैक्सीनेशन के लिए कई क्लिनिकल ट्रायल्स चल रहे हैं. हालांकि, इन ट्रायल्स की संख्या अमेरिका की तुलना में कम है, फिर भी चीन ने कुछ कैंसर प्रकारों के लिए वैक्सीनेशन विकसित किया है. उदाहरण के लिए, सर्वाइकल कैंसर के लिए कुछ वैक्सीनेशन स्वीकृत किए गए हैं.
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में भी कैंसर वैक्सीनेशन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध हो रहा है. क्रिस ओ'ब्रायन लाइफहाउस में स्थापित "Richard Scolyer Chair in Brain Cancer Research" नामक पहल के माध्यम से ब्रेन कैंसर के लिए इम्यूनोथेरेपी पर शोध किया जा रहा है. अगर यह रिसर्च सफल रहता है तो ब्रेन कैंसर की फील्ड में यह एक महान खोज होगी.
फ्रांस
फ्रांस की बायोटेक कंपनी Transgene ने TG4050 नामक व्यक्तिगत कैंसर वैक्सीन विकसित की है, जो हेड और नेक कैंसर के इलाज में Phase I/II ट्रायल्स में है और तीसरे फेज के लिए मंजूरी दे दी गई है. यह वैक्सीन मरीज के व्यक्तिगत ट्यूमर के आधार पर तैयार की जाती है.
भारत
भारत भी उन देशों की लिस्ट में शामिल है, जहां कैंसर के वैक्सीन या फिर दवाओं में खोज जारी है. भारत में तमाम मेडिकल कॉलेजों में इसपर रिसर्च चल रहा है. इसके अलावा Serum Institute of India ने इसमें सफलता भी हासिल की है, जिसका वैक्सीन एंडोमेट्रियल कैंसर में काफी मददगार है. यह कैंसर महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत के प्रमुख कारणों में से एक है.
इसके अलावा भी कई देश कैंसर के वैक्सीन को लेकर रिसर्च कर रहे हैं या फिर रिसर्च करने की तैयारी तक रहे हैं.
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